बिहारः नीरज कुमार ने तेजस्वी से कहा- अपने सही नाम का सबूत दीजिए नहीं तो कानून के मुताबिक हो सकती है सजा
बिहार सरकार में सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने सोमवार को एक बार फिर लालू परिवार पर गुमनाम तरुण कुमार यादव के नाम से बेनामी संपत्ति अर्जित करने के आरोपों को दोहराया.
पटनाः तेजस्वी ही तरुण हैं इस बात की सफाई देने के बावज़ूद बिहार सरकार के मंत्री और जेडीयू नेता नीरज कुमार रुकने वाले नहीं हैं. उन्होंने कहा, “सिर्फ बोलने से नहीं प्रमाण दीजिए.” नीरज सिंह ने कहा कि ज़रूरत पड़ी तो वह संपत्ति खोजो अभियान में भी निकलेंगे.
बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने आज सुबह फेसबुक लाईव आकर 11 जून की प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से साक्ष्यों के साथ लालू परिवार पर गुमनाम तरुण कुमार यादव के नाम से बेनामी संपत्ति अर्जित करने के आरोपों को एक बार फिर दोहराया. नीरज सिंह ने कहा कि हमने तो कहा है यदि मेरे आरोप गलत हैं तो तेजस्वी हम पर मानहानि का मुकदमा क्यों नहीं करते. हम इतने पर रुकने वाले नहीं हैं, हमारा संपत्ति खोजो अभियान जारी रहेगा और समय-समय पर जनता के समक्ष पेश करते रहेंगे.
नीरज कुमार ने कहा कि मीसा भारती और नेता प्रतिपक्ष, तेजस्वी के ही तरुण होने का दावा तो करते हैं पर हमारे द्वारा किए गए उद्भेदन के 93 घंटे बीत जाने के बाद भी वे साक्ष्य पेश नहीं करने में असमर्थ रहे. यदि तेजस्वी ही तरुण हैं तो इसका प्रमाण क्या है? पेश क्यों नहीं करते?
मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि इनका गुनाह इतना भर नहीं है, तेजस्वी यादव ने 2015 के विधानसभा चुनाव के चुनावी हलफनामे और मंत्रिपरिषद के Property Declearation में 27.10 1993 को नाबालिग तेज प्रताप यादव व तरुण कुमार यादव, पिता- लालू प्रसाद के नाम खरीदी गई फुलवरिया के खाता नं. - 74 प्लॉट नं.- 955 रकबा - 3 कट्ठा 11 धूर का उल्लेख किया है, पर उसी दिन इसी नाम से विश्वनाथ चौधुर वल्द सुदर्शन चौधुर से खरीदी गई खाता नं. - 74 प्लॉट नं.- 891 रकबा - 6 कट्ठा का जिक्र नहीं किया, इसको छुपा लिया.छुपाने का उद्देश्य क्या था? यह सीधे तौर पर बेनामी संपत्ति का मामला है जो कि The Prohibition of Bemani Property Transection Act, 1988 की धारा 2 Clauses 9 Sub Clause B का उल्लंघन है. बेनामी संपत्ति एक्ट की धारा 27 के प्रभावी है और इसकी धारा 53 Clause 2 के तहत 1 वर्ष से 7 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है.
नीरज कुमार ने कहा कि इनके गुनाह की फेहरिस्त बहुत लंबी है. इन्होंने चुनावी हलफनामे और मंत्रिपरिषद की संपत्ति घोषणा पत्र में सिर्फ संपत्ति ही नहीं छुपाई बल्कि अज्ञात तरुण कुमार यादव के नाम की जमीन अपनी बता दी. साथ ही साथ खुद का नाम तेजस्वी यादव उर्फ तरुण प्रसाद यादव लिखते हैं. 1993 का तरुण कुमार यादव 2015 में तरुण प्रसाद यादव कैसे हो गया? न सिर्फ तरुण प्रसाद यादव हो गया अपितु तेजस्वी यादव भी हो गया? जिसका कहीं कोई साक्ष्य नहीं? चुनावी शपथ पत्र में अधूरी या गलत जानकारी भारतीय जनप्रतिनिधि अधिनियम 1957 की धारा 125A के तहत दंडनीय अपराध है जिसमें 6 महीने तक कारावास, जुर्माना या दोनों हो सकता है.
तेजस्वी के कथन को मान भी लें, जिसका कोई साक्ष्य नहीं तो 1993 में इनकी उम्र तकरीबन 4 वर्ष होगी और भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 11 कहता है कि कोई भी नाबालिग संपत्ति निबंधन नहीं करा सकता, इसके लिए गार्जियनशिप की अनिवार्यता है. इसके उल्लंघन पर भारतीय निबंधन अधिनियम 1908 की धारा 82 के तहत 7 वर्ष की सजा और संपत्ति के बाजार मूल्य का 25% जुर्माना या दोनों लगाए जाने का प्रावधान है.