पटनाः मानसून ने बिहार में दस्तक दे दी है. ऐसे में कोरोना के साथ-साथ राज्यवासियों पर बाढ़ का भी खतरा मंडराने लगा है. खासकर उत्तरी बिहार के लोग बाढ़ को लेकर काफी चिंतित हैं. वे इसलिए भी ज्यादा चिंतित हैं क्योंकि नार्थ बिहार में मुख्य रूप से बहने वाली गंडक नदी के बांध की मरम्मत के काम में नेपाल सरकार ने अड़चन पैदा कर दी है. ऐसे में उस क्षेत्र में बाढ़ का खतरा काफी बढ़ गया है.


इस संबंध में बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा का कहना है कि नेपाल सरकार ने गंडक बैराज के अपने हिस्से के गेट पर बैरियर लगा दिए हैं. अब बैरियर लगा देने से हमारे इंजीनियर, मजदूर, फ्लड फाइटिंग मटेरियल का मूवमेंट बंद हो गया है. एक बार अगर यह सारा मूवमेंट बंद हो जाएगा तो काफी परेशानी होगी. बांध का जो राइट अफलक्स है वह नेपाल की तरफ है. उसकी देखभाल बिहार जल संसाधन विभाग करती है. 1.5 लाख क्यूसेक पानी कल गंडक से निकला है. ऐसे में अगर वहां पर पानी इसी तरह बढ़ा और हम लोग मरम्मत और मॉनिटरिंग नहीं कर पाएं तो पूरा का पूरा नॉर्थ बिहार खतरे में पड़ जाएगा.


'अगर काम नहीं हुआ तो स्थिति गंभीर हो जाएगी' 
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि आपको मैंने वाल्मीकि नगर की स्थिति के बारे में बताया कि अगर वहां हम लोग काम नहीं करते हैं या मॉनिटरिंग नहीं करते हैं तो स्थिति गंभीर हो जाएगी. इसी तरह लालबकेया जो मोतिहारी में है, वहां 20 साल से बांध बना हुआ है, लास्ट प्वाइंट जो 500 मीटर है, वहां पर वे रिपेयर का काम नहीं करने दे रहे हैं. वो कह रहे हैं कि यह हमारी साइड में है. डीएम मोतिहारी ने बात की तो कहा कि नो मेन्स लैंड है, वहां पर हम लोग काम नहीं कर पाए हैं. हालांकि भारत की तरफ हमने सारा काम कर लिया है. फ्लड फाइटिंग का सारा मटेरियल भी हमने रख लिया है.


संजय झा ने कहा कि ऐसे ही मधुबनी में जयनगर के अपस्ट्रीम में कमला से खतरा है. यहां भी वही स्थिति है. 500 मीटर में वे काम नहीं करने दे रहे हैं. कोशी में ऐसा खतरा नहीं है, लेकिन इन तीन जगहों पर यह प्रॉब्लम दिखाई पड़ रही है. उन्होने कहा, “नेपाल के साथ कभी यह समस्या नहीं रही कि उन्होंने फ्लड फाइटिंग के काम को रोका हो या फ्लड फाइटिंग के मटेरियल को ले जाने में कभी कोई समस्या उत्पन्न की हो. यह पहली बार हो रहा है. अभी बरसात शुरू हुई है, ऐसे में अगर पानी की स्थिति और गंभीर होती है और हम लोग उसे मैनेज नहीं कर पाते हैं तो वो तो अपस्ट्रीम में है, डाउनस्ट्रीम में नार्थ बिहार है और वह इसकी चपेट में आ सकता है.


वहीं, नेपाल की ओर से पैदा की जा रही इन अड़चनों से कैसे निपटा जाए इस संबंध में बताते हुए संजय ने कहा कि इस मुद्दे पर मीटिंग होगी. हम उन्हें पूरी सिचुएशन से अवगत कराएंगे. क्योंकि इसका प्रोटोकॉल यही है कि जो हमारे डीएम और इंजीनियर हैं, वो उनसे बात करते हैं और मसले को सुलझाते हैं अगर बात इससे भी नहीं बनती है तो हम विदेश मंत्रालय या जलशक्ति मंत्रालय को सारी परिस्थितियों से अवगत कराएंगे और उनसे अपील करेंगे वे अपने स्तर पर यह मामला देखें. इसके लिए हम बात कर रहे हैं.


संजय झा ने बताया कि उस एरिया का मेंटेनेंस हम करते हैं. बांध हमने बनाया है, काफी काम होता है जो हर साल किया जाता है. मिट्टी का बांध है हर एक साल कुछ क्षरण होता है, तो डिपार्टमेंट डिसाइड करता है कि हमको कहां-कहां रिपेयर करना है. उसका एक प्रोटोकॉल बना हुआ है. लॉकडाउन में भी बहुत जगह काम हुआ, लेकिन अभी जो परिस्थिति बन गई है, गंडक बैराज में लास्ट प्वाइंट पर बैरियर लगाकर नेपाल ने काम बिल्कुल रोक दिया गया है.


'यह स्थिति पहले कभी नहीं आई' 
जब संजय झा से पूछा गया कि यह सब नेपाल चीन के इशारे पर कर है तो उन्होंने कहा कि अभी इस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं कर पाउंगा लेकिन मैंने बताया कि यह परिस्थिति पहले कभी नहीं आई थी. आज तक ऐसी स्थिति नहीं आई कि उस साइड ने फ्लड फाइटिंग के काम को रोक दिया हो या बांध को देखने से रोक दिया हो. यह पहली बार स्थिति उत्पन्न हुई है. बांध पर मूवमेंट से क्या प्रॉब्लम है. माना की लॉकडाउन का प्रॉब्लम है, लेकिन बाढ़ का समय तो यही है. यही समय है जब आप फ्लड फाइटिंग का काम करते हैं, उसको रिपेयर करते हैं, उसको मॉनिटर करते हैं और इस काम को रोक देना खतरे की बात है.


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