पटना: बिहार में कांग्रेस ने पार्टी के अध्यक्षों की फौज खड़ी कर दी है. पुराने कांग्रेसी नेता मदन मोहन झा को प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष बनाया लेकिन उनके इर्दगिर्द चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं. साथ ही राज्य सभा सांसद अखिलेश सिंह को चुनाव प्रचार कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया. कांग्रेस ने इसी बहाने सवर्ण कार्ड भी खेला. नए प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने भी माना कि बिहार में लालू यादव के पास ज्यादा ताकत है, वहीं नीतीश कुमार को भी उन्होंने बड़ा नेता बताया. इससे पहले अखिलेश सिंह ने कहा था कि लालू यादव बिहार में कांग्रेस से ज्यादा ताकतवर हैं.
चार कार्यकारी अध्यक्ष से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी के साथ मेरा काम करने का अनुभव है. हमारा उद्देश्य एक ही है. हमें राहुल गांधी को मजबूत करना है. एक अध्यक्ष को चार कार्यकारी अध्यक्ष की जरूरत क्यों पड़ी, इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सबके साथ काम करने का अनुभव है. पहरा बिठाने वाली कोई बात नहीं है. सभी स्टेट में ये हुआ है. यहां अंतिम फैसला राहुल गांधी को लेना होता है. सबका उद्देश्य एक है.
कांग्रेस को कितनी सीटें मिलनी चाहिए, इस सवाल का जवाब देते हुए मदन मोहन झा ने कहा कि हर दल की इच्छा होती है कि ज्यादा सीटों पर लड़े. अभी कौन आएगा और कौन जाएगा इसकी कोई गारंटी नहीं है. सम्मानजनक स्थिति में समझौता होगा. सबका उद्देश्य एक है कि महागठबंधन को ज्यादा सीट मिले. इसमें लालू यादव, जीतन राम मांझी और राहुल गांधी भी हैं. वहीं उपेन्द्र कुशवाहा के बारे में उन्होंने कहा कि कुशवाहा से कोई बातचीत नहीं हुई है. सांप्रदायिक पार्टी को हराने के लिए जो भी हमारे नेता से सामंजस्य स्थापित करेंगे तो हमको क्या आपत्ति है.
राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने के जिक्र पर मदन मोहन झा ने कहा कि वो मेरे चाहने से थोड़ी बनेंगे. हमलोग सोनिया गांधी को पीएम बनाना चाहते थे लेकिन उन्होंने मना कर दिया. हमलोग जीते और राहुल गांधी ये कह दें कि मैं नहीं बनूंना!
वहीं नीतीश कुमार को लेकर उन्होंने कहा कि वे एक बड़े नेता हैं, जबतक वो बीजेपी के साथ हैं, कोई बातचीत नहीं होगी. वे अगर वहां से हटेंगे, तो बात होगी. नीतीश कुमार पर डिसीजन दिल्ली से होगा. जो भी राहुल गांधी के नेतृत्व में सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ेगा, उसका स्वागत है.