सीतापुर: यूपी के सीतापुर में अब तक 14 बच्चों की जान जा चुकी है. सीएम योगी आदित्यनाथ भी प्रभावित इलाकों का दौरा करचुके हैं.राज्य सरकार का दावा है कि आदमखोर कुत्तों की वजह से बच्चों की मौत हो रही है. ह्यूमन सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के हवाले से ऐसा बताया गया. सीतापुर की डीएम शीतल वर्मा ने बताया " ज़िले में सभी घटनाओं में भेड़िया ना होकर खूंखार कुत्तों की पहचान की गयी है. " डीएम के इस बयान को यूपी के सूचना विभाग ने 17 मई को जारी किया था.


लेकिन अब इस कहानी में अब नया मोड़ आ गया है. ह्यूमन सोसाइटी ऑफ़ इंडिया ने यूपी सरकार के दावों की पोल खोल दी है. सोसाइटी के मैनेजर पीयूष पटेल ने डीएम शीतल वर्मा से अपना बयान वापस लेने की मांग की है.


 ह्यूमन सोसाइटी ऑफ़ इंडिया का पक्ष



शीतल ने बच्चों की मौत के लिए आदमखोर कुत्तों को जिम्मेदार बताया था. उनकी मानें तो ह्यूमन सोसाइटी की जांच रिपोर्ट में ये जानकारी आयी थी. लेकिन सोसाइटी का कहना है " जब हमने रिपोर्ट ही नहीं बनायी तो फिर कुत्तों की बात कहां से आ गयी. "


यूपी के सीतापुर में बच्चों की मौत अब भी किसी रहस्य से काम नहीं है.पिछले चार महीनों में 14 बच्चों की जान जा चुकी है. मारे गए बच्चों की उम्र 5 से 14 साल थी. सीतापुर में इस चक्कर में कई कुत्ते मारे जा चुके हैं.


सीतापुर डीएम ऑफिस से जारी प्रेस विज्ञप्ति




जिलाधिकारी शीतल वर्मा ने दिया था ये बयान
बता दें कि सीतापुर के जिला प्रशासन ने एक बयान में कल रात कहा था कि ये जंगली कुत्ते ही हैं, जो हमला कर रहे हैं. लोमड़ी जैसा कोई जंगली जानवर नहीं है. सीतापुर की जिलाधिकारी शीतल वर्मा ने बताया कि भारतीय वन्यजीव संस्थान और हयूमन सोसाइटी आफ इंडिया के विशेषज्ञों ने पुष्टि की है कि दरअसल जंगली कुत्ते ही हमला कर रहे हैं.


उन्होंने बताया कि एक हेल्पलाइन शुरू की गयी है, जिस पर लोग जंगली कुत्ते देखे जाने की स्थिति में फोन कर सूचना दे सकते हैं. जिले के 164 अधिकारियों को जागरूकता फैलाने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किया गया है. ये अधिकारी लोगों को जंगली कुत्तों से बचाव के बारे में भी बताएंगे.


खैराबाद ब्लाक के 22 गांव कुत्तों के आतंक से प्रभावित होने की कही गई थी बात
जिलाधिकारी ने कहा कि प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में कुत्तों की आबादी नियंत्रित करने के उपाय शुरू कर दिये हैं. कुत्तों की नसबंदी की जा रही है.स्थानीय लोगों को आगाह किया गया है कि वे बच्चों को अकेले घर से ना निकलने दें. खैराबाद ब्लाक के 22 गांव कुत्तों के आतंक से प्रभावित हैं.