नई दिल्लीः मुजफ्फरपुर शेल्टर होम से लड़कियों के गायब होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है. हाल ही में जांच के दौरान इलाके की खुदाई की गई थी जिसमें नर कंकाल बरामद हुए थे. आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी सीबीआई को जल्द से जल्द जांच पूरी करने को कहा. कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 3 जून तय कर दी है.
बता दें कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम से 11 लड़कियां गायब हैं जिनके बारे में अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है. इन लड़कियों के हत्या की आशंका जताई जा रही है. इस मामले में शेल्टर होम संचालक ब्रजेश ठाकुर को मुख्य आरोपी बनाया गया है.
इससे पहले याचिकाकर्ता ने सीबीआई पर 'असली अपराधियों' के खिलाफ जांच न करने का आरोप लगाया था. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि निचली अदालत में दाखिल चार्जशीट में हत्या, सामूहिक बलात्कार जैसी धाराओं को शामिल नहीं किया है.
क्यों कमजोर पड़ सकता है केस
याचिकाकर्ता ने कहा था कि इन धाराओं को न शामिल करने से मामला कमजोर पड़ सकता है. बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलों में लगने वाली पॉक्सो एक्ट की धाराएं लगाई गई हैं लेकिन आईपीसी की संगीन धाराओं को छोड़ दिया गया है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में हत्या, सामूहिक बलात्कार, जबरन वेश्यावृति जैसे अपराध हुए. लेकिन, इनसे जुड़ी धाराएं आरोपियों पर नहीं लगाई गई है.
क्या कहा गया है याचिका में?
याचिका में ये मांग भी की गई थी कि शेल्टर होम में हुए बलात्कार और हत्या के हर मामले के लिए अलग-अलग मुकदमा चले. सीबीआई ने जिस तरह सभी मामलों की एक साझा चार्जशीट दाखिल की है, उससे आरोपियों को राहत मिल सकती है.
क्या है मामाल?
मुजफ्फरपुर में एक एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे शेल्टर होम में कई लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न का मामला समने आया था. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की एक रिपोर्ट के बाद यह मामला सामने आया था.
इस शेल्टर होम में रहने वाली 42 लड़कियों में से 34 लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न की पूष्टी हुई थी. यह मामला तब सामने आया था जब टीआईएसएस (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज) की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया कि शेल्टर होम में रहने वाली कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की.
मामला सामने आने के बाद शेल्टर हाउस के संचालक ब्रजेश ठाकुर समेत 11 लोगों के खिलाफ 31 मई को प्राथमिकी दर्ज की गयी. बाद में इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई.
मामला सामने आने के बाद इस मुद्दे पर जमकर राजनीति हुई थी. इस मामले को लेकर विरोधियों ने नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग की थी साथ ही उनका पुतला भी फूंका था.
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