हापुड़: एनआईए पश्चिमी यूपी में पैदा हुए आईएस के नये माड्यूल हरकत उल हर्ब-ए-इस्लाम पर अपना शिकंजा कसती जा रही है. एनआईए की टीम ने दहशतगर्दों की जमात पैदा करने वाले मौलाना साकिब इफ्तेखार की निशानदेही पर मेरठ के रहने वाले मौलाना मोहम्मद अबसार को हापुड़ से गिरफ्तार किया है. अबसार हापुड़ के पिपलेड़ा में स्थित मदरसे में पढ़ाने का काम करता था.
शनिवार 12 जनवरी को अल सुबह हुई एनआईए की छापेमारी में हापुड़ के पिपलेड़ा गांव में जामिया हुसैना अबुल हसन मदरसे में मोहम्मद अबसार की गिरफ्तारी की पुष्टि हुई. अबसार से हुई पूछताछ के आधार पर एनआईए ने अगला छापा उसके गांव मेरठ के जिसौरा में मारा. एनआईए को यहां अपेक्षित दस्तावेज नहीं मिल सके तो तीसरा छापा अजनाड़ा गांव में मारा गया. यहां अबसार के मामा का घर है. एनआईए ने अबसार के दो मोबाइल फोन और महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किये हैं.
दरअसल, 26 दिसंबर 2018 को गिरफ्तार हापुड़ के वैठ गांव निवासी मौलाना साकिब इफ्तेखार से एनआईए की पूछताछ में अबसार का नाम सामने आया था. बीते साल मई से अगस्त तक साकिब और अबसार ने जम्मू-कश्मीर की तीन बार यात्रा की. दोनों कश्मीर में आईएस से जुड़े पाकिस्तानी ऐजेंट से मिले. सूत्रों की मानें तो यहां से ही उन्हें आतंक की ट्रेनिंग और साजिश के खर्च के लिए रकम का मुहैया कराई गई.
सूत्रों के मुताबिक बीते कुछ महीनों में ही साकिब और अबसार ने अपने दहशतगर्द आकाओं के हुक्म पर पश्चिमी उत्तर-प्रदेश में बड़ा नेटवर्क खड़ा कर दिया. एनआईए पहले ही इनकी साजिश का भांड़ाफोड़ कर चुकी है. एनआईए के मुताबिक देश के सौ से ज्यादा महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान आईए के इस नये मॉड्यूल के निशाने पर थे. मेरठ के राधना निवासी नईम ने इस मॉड्यूल को हथियारों की सप्लाई की. एनआईए नईम की गिरफ्तारी भी कर चुकी है. मेरठ से गिरफ्तार इस मॉड्यूल का अबसार दूसरा संदिग्ध आतंकी है. अमरोहा से गिरफ्तार मौलाना सुहैल इस मॉड्यूल का मास्टरमाइंड है.
अपने मंसूबों के लिए वेस्ट यूपी में आईएस का दिख रही है बड़ी उम्मीदें
वेस्ट यूपी में मुस्लिम समुदाय से जुड़े नौजवान बड़ी तादात में रोजगार की तलाश में गल्फ देशों में जाते हैं. इन नौजवानों को अपने बड़े सपने पूरे करने के लिए मोटी कमाई की जरूरत होती है. आईएस इस तथ्य से वाकिफ है और इसीलिए उसने ऐसे महत्वाकांक्षी युवकों को अपने निशाने पर ले लिया है. इसके अलावा वेस्ट यूपी में अवैध हथियारों के भी अच्छे-खासे गढ़ हैं. ऐसे में आईएस को बाहर से हथियार भेजने की जरूरत भी नहीं है. उन्हें नौजवानों का ब्रेनबॉश करना होता है और फिर केवल इन्वेस्टमेंट के सहारे ही बड़ी साजिशें वेस्ट की धऱती पर बैठकर रची जा सकती है. आईएस का यह मॉड्यूल ऐसे ही नौजवानों की जमात है जो अब दहशतगर्दी के मोहरे बन चुके हैं. एनआईए इन संदिग्धों के वेस्ट में नये ठिकाने तलाश रही है.