प्रयागराज: प्रयागराज के कुंभ मेले में एक अनूठा इतिहास रचा गया. अयोध्या मामले के पक्षकार निर्मोही अणी अखाड़े ने कुंभ में एक साथ नौ विदेशी संतों का पट्टाभिषेक कर उन्हें महामंडलेश्वर की पदवी से नवाजा. निर्मोही अखाड़ा इन विदेशी संतों के जरिये समूची दुनिया में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करेगा. विदेशी संतों के पट्टाभिषेक समारोह में सभी तेरहों अखाड़ों के साधू संतों और गुजरात के सीएम विजय रुपाणी के साथ ही बड़ी संख्या में विदेशी भी शामिल हुए.


निर्मोही अणी अखाड़े ने शुक्रवार को प्रयागराज के कुंभ मेले में एक साथ नौ विदेशी संतों को महामंडलेश्वर की पदवी देकर नया इतिहास रचा. जिन विदेशी संतों का पट्टाभिषेक किया गया, उनमें तीन महिलाएं हैं. इन विदेशी संतों को सबसे पहले अखाड़े के प्रमुख व दूसरे महामंडलेश्वरों ने दीक्षा दी. इसके बाद इनके चादरपोशी की रस्म हुई.


अखाड़े के पदाधिकारियों के साथ ही सभी तेरह अखाड़ों के प्रमुखों व श्रीमहंतों ने इन नये महामंडलेश्वरों को माला पहनाकर अखाड़े के फैसले पर अपनी मुहर लगाई. समारोह में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि और गुजरात के सीएम विजय रुपाणी भी ख़ास तौर पर शामिल हुए. महामंडलेश्वर बने इन विदेशी संतों के विदेशी भक्त भी बड़ी संख्या में पट्टाभिषेक समारोह में मौजूद रहे. पट्टाभिषेक समारोह कुंभ मेले के सेक्टर सोलह में निर्मोही अखाड़े की छावनी में हुआ.


गुजरात के सीएम विजय रुपानी ने कुंभ में की पूजा, लिया संतों का आशीर्वाद


निर्मोही अणी अखाड़े ने आज जिन नौ विदेशी संतों को महामंडलेश्वर की पदवी दी है, उनमें फ्रांस की एंडर मॉनोसमी उर्फ़ जयेन्द्र दास, टोक्यो जापान की रेक्यों उर्फ़ राजेश्वरी देवी, दक्षिण अमेरिका की जैमी एलीन उर्फ़ श्रीदेवी दासी, यूएसए की जोनाथन मिशेल उर्फ़ जीवननंदा दास, इसराइल के डारन शैनॉन उर्फ़ ध्यानानंदा दास, यूएस के टेलर सैमुअल फ्रीडमैन उर्फ़ त्यागानंदा दास, एरिजोना के पीटर उर्फ़ स्वामी परमेश्वरानंद, यहीं के एलेक्जेंडर जॉन उर्फ़ अनंतानंद दास और यूएसए की लीला मारिया उर्फ़ ललिता श्रीदासी हैं.


ये सभी अखाड़े की विदेशी महामंडलेश्वर साईं मां के भक्त हैं. पट्टाभिषेक समारोह के मौके पर अखाड़े की महामंडलेश्वर साईं मां ने इस मौके को यादगार बताया तो अखाड़े के अध्यक्ष और दूसरे पदाधिकारियों के मुताबिक़ ये विदेशी भारत के साथ ही समूची दुनिया में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करेंगे. महामंडलेश्वर की पदवी पाने वाले विदेशी संतों ने कहा कि सनातन धर्म के सेवाभाव के संदेश से प्रभावित होकर ही इन्होने इसके प्रचार प्रसार का बीड़ा उठाया है.


यह पहला मौका है जब किसी कुंभ में एक साथ नौ विदेशी संतों को महामंडलेश्वर बनाया गया है. निर्मोही अखाड़े का दावा है कि पश्चिमी देशों में सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए वह दो साल बाद हरिद्वार में लगने वाले कुंभ में चालीस विदेशी संतों को महामंडलेश्वर की पदवी देगा.