नई दिल्ली: चमकी बुखार से बिहार में 150 से अधिक बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य सेवाओं पर नए सिरे से बहस शुरू हुई है. इस बीच नीति आयोग ने चौंकाने वाला आंकड़ा दिया है. नीति आयोग के मुताबिक, स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं के मोर्चे पर पिछड़े बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और ओडिशा पहले से भी अधिक फिसड्डी साबित हुए हैं. वहीं हरियाणा, राजस्थान और झारखंड में हालात में सुधार आए हैं. जबकि केरल टॉप पर बना हुआ है.
नीति आयोग ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और विश्वबैंक के तकनीकी सहयोग से ‘स्वस्थ्य राज्य , प्रगतिशील भारत’ शीर्षक से रिपोर्ट तैयार की है. जिसमें स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं के मोर्चे पर पिछड़े रहे बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और ओडिशा एक नई तुलनात्मक रिपोर्ट में पहले से अधिक फिसड्डी साबित हुए हैं.
इसी के मद्देनजर नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने मंगलवार को स्वास्थ्य के मोर्चे पर राज्यों को स्थिति बेहतर करने के लिए बजट का आबंटन बढ़ाने को कहा. ‘स्वस्थ्य राज्य , प्रगतिशील भारत’ शीर्षक से रिपोर्ट जारी किये जाने के मौके पर पॉल ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य क्षेत्र में अभी काफी काम करने की जरूरत है...इसमें सुधार के लिये स्थिर प्रशासन, महत्वपूर्ण पदों को भरा जाना और स्वास्थ्य बजट बढ़ाने की जरूरत है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार को सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत स्वास्थ्य पर खर्च करना चाहिए. राज्यों को स्वास्थ्य पर खर्च औसतन अपने राज्य जीडीपी के 4.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 8 प्रतिशत (शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद का) करना चाहिए.’’
पॉल ने यह भी कहा कि हम वित्त आयोग से स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छा काम करने वाले राज्यों को प्रोत्साहित करने का भी आग्रह करेगा. पिछली बार के मुकाबले सुधार के मामले में 21 बड़े राज्यों की लिस्ट में उत्तर प्रदेश सबसे निचले 21वें स्थान पर है. उसके बाद क्रमश: बिहार, ओड़िशा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड का स्थान है. वहीं शीर्ष पर केरल है. उसके बाद क्रमश: आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात का स्थान हैं.