नई दिल्ली: राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव के लिए एनडीए ने नीतीश कुमार के करीबी जेडीयू नेता हरिवंश नारायण सिंह को अपना कैंडिडेट बनाया है. अहम बात ये कि हरिवंश की जीत तय लग रही है. हरिवंश के नाम पर मुहर लगाना कई सियासी संकेत भी दे रहे हैं. दरअसल जेडीयू सांसद हरिवंश नारायण सिंह को कैंडिडेट बनाकर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से बीजेपी ने नीतीश कुमार के साथ अपने रिश्ते की मजबूती दी है. बीजेपी के इस कदम से यह भी साबित होता है कि जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार एनडीए की अहम कड़ी हैं.
एक तरफ जहां 2019 को लेकर विपक्ष महागठबंधन बनाने की तैयारी में है, ऐसे में एनडीए के पास सबसे बड़ी चुनौती अपने घटक दलों को साथ रखना है. बिहार में लोकसभा की 40 सीटे हैं. ऐसे में नीतीश की नाराजगी का खतरा बीजेपी बिल्कुल भी मोल लेना नहीं चाहेगी. खास बात ये कि हरिवंश के समर्थन के लिए नीतीश कुमार ने उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक से समर्थन देने की अपील की थी. सूत्रों के मुताबिक नवीन पटनायक की बीजेडी ने एनडीए उम्मीदवार के समर्थन देने की खबर है. वहीं, खबर है कि शिवसेना ने भी एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश को समर्थन देने का मन बना लिया है.
इस तरह नीतीश के करीब आए हरिवंश नारायण सिंह
30 जून 1956 को बलिया जिले के सिताबदियारा गांव में जन्मे हरिवंश नारायण जनता दल यूनाइटेड के सांसद और वरिष्ठ पत्रकार हैं. हरिवंश ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए और पत्रकारिता में डिप्लोमा की पढ़ाई की और अपने करियर की शुरुआत टाइम्स मीडिया समूह से की. बतौर पत्रकार हरिवंश ने बिहार से जुड़े गंभीर विषयों को प्रमुखता से उठाया. इसी दौरान वह नीतीश कुमार के करीब आए और इसके बाद उन्हें जेडीयू का महासचिव बना दिया गया. साल 2014 में जेडीयू ने हरिवंश को राज्यसभा के लिए नामांकित किया और इस तरह से हरिवंश पहली बार संसद तक पहुंचे.
गौरतलब है कि बीते दिनों में बिहार में लोकसभा की सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी और जेडीयू के बीच तनातनी सामने आई थी. जिसको लेकर सियासी पारा चढ़ गया था. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जेडीयू 25 सीटों की मांग कर रही थी. हालांकि अभी तक बिहार में सीट बंटवारे को लेकर कोई फाइनल फॉर्मूला तो नहीं निकला है लेकिन फिलहाल मामला शांत है. जुलाई में दिल्ली में संपन्न हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जेडीयू ने ये साफ किया था कि सीट बंटवारे को लेकर कोई विवाद नहीं है. खुद नीतीश कुमार ने कहा था कि कोई हड़बड़ी नहीं है, वे एनडीए में बने रहेंगे.
दूसरी तरफ से यह भी है कि बिहार में कांग्रेस लगातार नीतीश कुमार पर डोरे डाल रही थी. दोबारा से महागठबंधऩ में नीतीश कुमार को शामिल करने की वकालत कर रही कांग्रेस ने आरजेडी पर दबाव बनाना भी शुरू कर दिया था. वहीं बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्ज को लेकर नीतीश कुमार लगातार अपनी मांग के साथ मुखर बने रहे हैं. ऐसे में एनडीए की तरफ से जेडीयू के हरिवंश नारायण सिंह को अपना कैंडिडेट घोषित करना अहम हो जाता है. एनडीए खासकर बीजेपी ने इस बात को साबित करने की कोशिश की है कि जेडीयू का एनडीए में अहम स्थान है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी का ये कदम आने वाले वक्त में कितना फायदेमंद साबित होता है.