नई दिल्ली: नीतीश कुमार की अपनी एक अलग ही सियासी छवि रही है. खासकर बिहार की महिलाओं औऱ लड़कियों  के बीच नीतीश लोकप्रिय हैं. चुनावी राजनीति में उनकी ये पूंजी किसी भी पार्टी की रणनीति को चुनौती देती दिखती है. जाहिर है मुजप्फरपुर शेल्टर होम कांड ने विपक्ष को नीतीश कुमार की इस छवि को कटघरे में खड़ा करने का मौका दे दिया. मामले पर उनकी चुप्पी और मंत्री का इस्तीफा तुरंत नहीं लेने से उनकी इस छवि को धक्का भी लगा. विपक्ष इस मजबूत मुद्दे को यूं ही हाथ से जाने देने के मूड में नहीं है. इसलिए वो लगातार इस मुद्दे को उठाकर उनके इस मजबूत किले को कमजोर करने की कोशिश में जुटा हुआ है. साफ है शेल्टर हाउस कांड का 'जिन्न' नीतीश का पीछा नहीं छोड़ रहा है.


मंजू वर्मा के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री ने भले ही डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की हो लेकिन अब आजरेडी के नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार को नैतिकता के आधार पर कुर्सी छोड़ देनी चाहिए. फिलहाल नीतीश चौतरफा हमलों से घिर हुए हैं. आरजेडी के तेवर से साफ है वो नीतीश कुमार को बिहार में इस मुद्दे पर लगातार घेरती रहेगी.


दरअसल साल 2005 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जब नीतीश कुमार ने आरजेडी को सत्ता से बेदखल किया और सीएम की कुर्सी संभाली तब से ही महिलाओं के लिए विशेष योजना चलानी शुरू कर दी. चाहे बिहार में लड़कियों को साइकिल बांटनी हो या फिर स्कूल ड्रेस के लिए पैसे मुहैया कराने हों, नीतीश कुमार ने इस पर विशेष ध्यान दिया.


धीरे-धीरे जनता के बीच नीतीश कुमार की छवि एक विश्वसनीय नेता के तौर पर गहरी होती चली गई. इसका असर चुनावों में भी देखने को मिला और महिलाओं ने नीतीश कुमार को बढ़-चढ़ कर वोट दिया. शराबबंदी भी इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है. बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर नीतीश कुमार ने महिलाओं का फिर से विश्वास जीत लिया.


लेकिन शेल्टर हाउस कांड ने सीएम नीतीश की छवि को नुकसान पहुंचाया है. विपक्षी पार्टियां खासकर तेजस्वी यादव ने बिहार से लेकर दिल्ली तक नीतीश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. अब इसका असर चुनावों पर कितना होगा ये तो आना वाला वक्त बताएगा, फिलहाल नीतीश के सामने ये चुनौती है कि वे कैसे इससे बाहर निकलते हैं.


शेल्टर हाउस कांड का मामला सीधा-सीधा बच्चियों से जुड़ा है. इसमें कुल 34 बच्चियों के साथ रेप की पुष्टि हुई. बाद में हुए हंगामे के बाद नीतीश कुमार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की और मामला सीबीआई के हाथों में है. विपक्ष के दावे के मुताबिक उन्हीं के बनाए दबाव के बाद नीतीश कुमार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की.


मामला अप्रैल में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की शेल्टर होम ऑडिट रिपोर्ट के सामने आने के बाद प्रकाश में आया. रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर बालिका गृह में बच्चों के साथ दुराचार की बात सामने आई थी. मामले के सामने आने के बाद शेल्टर होम से बच्चियों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया.