नई दिल्ली: बिहार बीजेपी के एमएलसी संजय पासवान के बयान पर जेडीयू के नेता कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. संजय पासवान ने कहा था कि नीतीश कुमार को अब बीजेपी के लिए सीएम की कुर्सी छोड़ देनी चाहिए और केंद्र में जाकर जिम्मेदारी संभालनी चाहिए. इसपर जेडीयू के सीनियर नेता और महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि संजय पासवान को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था. ये बयान गठबंधन को असहज करने वाला है. वहीं जेडीयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि हमें किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है.
केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार बिहार में एनडीए के सर्वमान्य नेता हैं. उनका नेतृत्व तय है और गठबंधन के सभी दलों ने उसे माना है. जेडीयू नेता ने कहा कि जब लोकसभा चुनाव में देशभर में एनडीए का सर्वमान्य नेता माना गया तभी ये तय हो गया था कि बिहार में नीतीश कुमार एनडीए के नेता होंगे.
उधर संजय पासवान के बयान पर बीजेपी के किसी नेता की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. आज जब बिहार बीजेपी के अध्यक्ष नित्यानंद राय से संजय पासवान के बयान को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने इसे अनसुना कर दिया.
बिहार में बीजेपी का सीएम बने, संजय पासवान के इस बयान पर जेडीयू ने बीजेपी से मांगी सफाई
अभी जेडीयू और बीजेपी मिलकर सरकार चला रही है. लोकसभा चुनाव भी दोनों पार्टियों ने मिलकर रहा और नतीजे शानदार रहे. नीतीश कुमार की पार्टी ने 16 तो वहीं बीजेपी ने 17 सीटों पर जीत दर्ज की. अब अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. दोनों पार्टियों ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. अब ऐसे समय में संजय पासवान के इस बयान ने जेडीयू और बीजेपी के बीच खटपट की चर्चाओं को हवा दे दी है.
कुछ महीने पहले बिहार में बाढ़ का जायदा लेने के लिए नीतीश कुमार दरभंगा पहुंचे थे. वहां उन्होंने आरजेडी के सीनियर नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के घर जाकर चाय पी और नाश्ता किया. इसके बाद बिहार में सियासी अटकलों का दौर शुरू हो गया. कई तरह की बातें होने लगी. यहां तक कहा जाने लगा कि एक बार फिर आरजेडी और जेडीयू का गठबंधन हो सकता है. इस दौरान आरजेडी का रुख भी नीतीश कुमार पर नरम ही था. माहौल को देखते हुए बिहार बीजेपी के सीनियर नेता और राज्य के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने ये एलान कर दिया कि नीतीश कुमार ही 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव में एनडीए का चेहरा होंगे.
यहां ये भूलना नहीं चाहिए कि आरजेडी के कई नेता नीतीश कुमार को महागठबंधन में आने का न्यौता दे चुके हैं. आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह और शिवानंद तिवारी उन्हीं नेताओं में से एक हैं. हालांकि जेडीयू इस न्यौते को पूरी तरह से खारिज करती रही है. हालांकि विधानसभा चुनाव होने में अभी एक साल बाकी हैं.