नई दिल्ली: लोकसभा से पास होने के बाद तीन तलाक बिल आज राज्यसभा में पेश हो गया. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में सदन के पटल पर बिल को रखा. इससे पहले 25 जुलाई को लोकसभा से इस बिल को पास कर दिया गया था. लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी बीजेपी की सहयोगी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने इस बिल का विरोध करते हुए वॉक आउट किया. जेडीयू के राज्यसभा सांसद बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि न समर्थन में बोलेंगे और न ही विरोध में बोलेंगे. उन्होंने कहा कि लोकसभा की तरह यहां भी उनकी पार्टी वोटिंग में हिस्सा नहीं लेगी. बता दें कि राज्यसभा में जेडीयू के छह सांसद हैं.
लोकसभा से भी जेडीयू ने किया था वॉक आउट
जेडीयू ने लोकसभा में भी इस बिल का विरोध करते हुए वॉक आउट किया था. जेडीयू के लोकसभा सांसद ललन सिंह ने कहा था कि इस बिल से समाज में अविश्वास पैदा होगा. ललन सिंह ने कहा था कि हम हमेशा से एनडीए में रहे हैं लेकिन धारा 370, समान नागरिक संहिता और राम मंदिर जैसे मुद्दों पर हमारा विचार हमेशा से अलग रहा है. कानून बनाकर ऐसा मत करिए. जन जागृति के जरिए ऐसा होना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा था कि समाज कड़े नियमों से नहीं चलता है. समाज के पास अपनी कुछ रिवाज होती हैं. पहले भी बने कई कानूनों का दुरुपयोग हुआ है. अगर इसतरह का कानून बनता है तो इसका गलत इस्तेमाल होगा. लोकसभा में जेडीयू के 17 सांसद हैं.
तीन तलाक बिल में क्या है?
इस विधेयक में तीन तलाक की प्रथा को शून्य और अवैध घोषित करने का और ऐसे मामलों में तीन वर्ष तक के कारावास से और जुर्माने से दंडनीय अपराध और प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय अपराध घोषित करने का प्रस्ताव है. यह भी प्रस्ताव किया गया था कि विवाहित महिला और आश्रित बालकों को निर्वाह भत्ता प्रदान करने और साथ ही अवयस्क संतानों की अभिरक्षा के लिए भी उपबंध किया जाए. विधेयक अपराध को संज्ञेय और गैरजमानती बनाने का उपबंध भी करता था . इसमें मजिस्ट्रेट द्वारा जमानत देने की बात कही गई है.
बीजेपी कैसे बिल को पास करवा सकती है
राज्य सभा में कुल 241 सांसद हैं और किसी भी बिल को पास करवाने के लिए 121 वोट चाहिए. बीजेपी के 78 सांसद राज्यसभा में हैं तो वहीं अन्य NDA दलों की बात करें तो AIDMK 11, जेडीयू 6, शिवसेना 3, शिरोमणी अकाली दल 3 और निर्दलीय और नामांकित 12 सासंद हैं. इस तरह NDA के पक्ष में कुल 113 सांसदों का वोट तय माना जा रहा है लेकिन यह संख्या मेजोरिटी के 121 के मार्क से 8 कम है. ऐसे में अगर उसे बीजेडी के सात सांसद, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के 6, वाईएसआर कांग्रेस के दो सांसदों का साथ मिलता है तो बिल के समर्थन में 128 वोट पड़ेंगे और बिल आसानी से पास हो जाएगा.