पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में एनआरसी और एनपीआर को लेकर ऐसी गुगली फेंकी की बीजेपी नेता हैरान परेशान हो गए. हालांकि, विधानसभा से एनआरसी और एनपीआर को लेकर प्रस्ताव पास हो जाने के बाद बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील मोदी ने साफ किया दिया कि वे नीतीश कुमार के प्रस्ताव का समर्थन करते हैं.


सुशील मोदी ने ट्वीट में लिखा, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही कहा था कि अभी देश में एनआरसी लागू करने की कोई बात नहीं है. अब विधानसभा ने सर्वसम्मति से राज्य सरकार का यह प्रस्ताव भी पारित कर दिया कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा और एनपीआर पर 2010 के प्रारूप पर ही लोगों से जानकारी मांगी जाएगी. किसी जानकारी के लिए प्रमाण देने की बात भी नहीं है. सदन का प्रस्ताव इतना साफ है कि अब किसी को नागरिकता के मुद्दे पर गुमराह कर राजनीति करने का मौका नहीं मिलेगा.''


वहीं बीजेपी ने बाकी नेताओं में खलबली मच गई. बीजेपी कोटा से कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने प्रस्ताव को महज खानापूर्ति करार दिया. मंगलवार को उन्होंने कहा कि हम केंद्र सरकार के साथ हैं. जहां तक संशोधन की बात है, इसपर केंद्र को समीक्षा करनी है. उन्होंने कहा, ''इसपर जो भी फैसला होगा, मैं केंद्र के साथ हूं. लोकतंत्र में विषय रखने का सबको अधिकार है. ये कोई जरूरी नहीं कि जो विधान सभा में बातें आईं उसे केंद्र मान लें. राज्य का अधिकार उसमें सुझाव का था तो उन्होंने प्रस्ताव दिया, अब केंद्र उसे देखेगा. हम केंद्र के साथ हैं.''


बीजेपी के विधायक अब एनपीआर की जगह नया राग अलापने लग गए. उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून का मुद्दा उठाया. विधायक संजय सरावगी ने कहा कि कोई एनपीआर को बात समाप्त करने की बात नहीं है. ये कोई बैक स्टेप नहीं है. इसमे कहीं कुछ नही जिससे अल्पसंख्यक को समस्या हो. इसके साथ ही सरावगी ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून तो इस देश में लागू होना ही चाहिए. जिस तरह से देश में जनसंख्या बढ़ रही है वैसे में ये देशहित में है. जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही वैसे में कानून की जरूरत है और ये कानून बनना चाहिए. सरकार को इसपर विचार करने की जरूरत है. अगर प्रस्ताव पारित हो तो ये और भी अच्छी बात है.


एक और बीजेपी के विधायक नीरज बबलू ने कहा कि जो प्रस्ताव सदन में लाया गया, हमने उसका समर्थन किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून आए. इसका भी प्रस्ताव लाया जाए और केंद्र को भेजा जाए. ये बहुत जरूरी है. अगर ये नहीं आया तो देश नहीं बचेगा.