पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को ‘माउंटेन मैन’ दशरथ मांझी को श्रद्धांजलि दी. ग्रामीण मांझी ने सिर्फ हथौड़ा और छेनी की मदद से 22 साल अथक मेहनत कर पहाड़ को समतल कर दिया था. अपनी इसी मेहनत और लगन के कारण मांझी ‘माउंटेन मैन’ के नाम से मशहूर हैं. दशरथ मांझी के नाम पर श्रम योजना एवं अनुसंधान संस्थान के नये परिसर का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने उनके अदम्य साहस को याद किया। मांझी के इस प्रयास के चलते ही गया जिले के दो ब्लॉक के बीच की दूरी 40 किलोमीटर तक घट गयी।


1960 में एक दुर्घटना में अपनी पत्नी के गुजर जाने के बाद दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मांझी ने साथी ग्रामीणों के उपहास की परवाह किये बगैर पहाड़ तोड़ने का काम शुरू किया. अस्पताल से उनके गांव गेहलौर के दूर होने के चलते उनकी पत्नी को समय पर इलाज नहीं मिल सका और इसी कारण उनकी मौत हो गयी.


नीतीश कुमार ने कहा, ‘‘मांझी का जीवन इस तथ्य को बताता है कि हर व्यक्ति के अंदर अदम्य साहस भरा होता है. सवाल बस इतना है व्यक्ति अपनी उस क्षमता के इस्तेमाल का विचार कब करता है. वह अपने वंशजों के लिये प्रेरणा के स्रोत होंगे. हमने उनके प्रयासों और आम तौर पर श्रमिक वर्ग को सम्मान देने के लिये उनके नाम पर इस संस्थान का नाम रखा है.’’


इस अवसर पर उन्होंने ‘माउंटेन मैन’ के पुत्र भागीरथ मांझी को सम्मानित किया और अपने दिवंगत पिता से संबंधित कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिये उनका शुक्रिया अदा किया. नीतीश कुमार ने कहा, ‘‘मांझी ने अविश्वसनीय इच्छा शक्ति दिखायी. हमें यह भी मालूम हो कि पर्वत को चीरकर समतल करने के अलावा वह भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलने की इच्छा मात्र से अपने मूल जिला गया से पैदल चलकर नयी दिल्ली पहुंचे थे.’’


मुख्यमंत्री ने एक घटना को याद करते हुए कहा, ‘‘मांझी के प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है. एक बार जब वह मेरे जनता दरबार कार्यक्रम में आये थे तब मैंने उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिये उन्हें अपनी कुर्सी पर बैठाया.’’


नीतीश कुमार ने कहा, ‘‘यह संस्थान हमारे कामगारों को अपना कौशल बढ़ाने में मदद करेगा. चाणक्य विधि विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ है. इसलिए अब हमारे श्रमिकों को नियमों की पूरी जानकारी होगी जो उन्हें और प्रभावी तरीके से अपना काम करने में मदद करेगा.’’