पटना: अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नीतीश कुमार ने कहा कि कोर्ट के फैसले से ही कोई रास्ता निकलेगा. उन्होंने कहा कि हमलोगों को पूरा विश्वास है कि आपसी सहमति के से या कोर्ट के फैसले से ही कोई हल निकलेगा. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के आदेश दिये और इसके लिए तीन लोगों का एक पैनल गठित किया. इस पैनल में पूर्व जस्टिस एफ एम खलीफुल्ला, धर्मगुरु श्री श्री रविशंकर और मद्रास हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू हैं.


सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मध्यस्थता में कोई कानूनी अड़चन नजर नहीं आती है. सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफएम खलीफुल्ला मध्यस्थता करने वाले पैनल के मुखिया होंगे. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता के मामले में रिपोर्टिंग नहीं होगी. जो भी बातचीत हो उसे गोपनीय रखा जाए और मध्यस्थता के लिए बैठक फैजाबाद में हो. पूरी प्रक्रिया एक हफ्ते में शुरू की जाएगी और यह पैनल 4 हफ्ते में कोर्ट को तरक्की का ब्यौरा देगा. शीर्ष अदालत ने मध्यस्थता की कार्यवाही आठ सप्ताह के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया है.


मध्यस्थता की बात क्यों उठी?


शीर्ष अदालत ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था.


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