पटना: चुनावी राज्य बिहार में विधानसभा से एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) नहीं लागू करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. इसके साथ ही एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) में संसोधन किया जाए, इसको लेकर भी एक प्रस्ताव पारित किया गया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि एनपीआर 2010 के आधार पर कराया जाए, इसके लिए केंद्र को पत्र भेजा गया है.


नीतीश कुमार ने कहा कि राजस्व मंत्रालय की तरफ से एनपीआर को लेकर केंद्र को पत्र लिखा गया है और ये मंत्रालय बीजेपी के पास है. दरअसल, बिहार विधानसभा में आज सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर चर्चा हुई. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कई सवाल उठाए. इसके जवाब में मुख्यमंत्री बोलने के लिए खड़े हुए और विस्तार से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, ''मैं नेता प्रतिपत्र के साथ-साथ सभी की बातें सुन रहा था. 13 जनवरी को नेता विरोधी दल ने चर्चा की मांग की थी. मैं सीएए और एनपीआर चर्चा के लिए विधानसभा अध्यक्ष को धन्यवाद देता हूं.''


सीएम ने आगे कहा, ''एनपीआर को लेकर केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को पत्र भेजा था. एनपीआर का काम 2010 से शुरू हुआ है. 2020 में जब इसकी जानकारी आई तो देखा गया इसमें कुछ नई चीज को जोड़ा गया .माता पिता के नाम के साथ साथ उनका जन्म और जन्म स्थान की जानकारी मांगी जाएगी. मुझे खुद नहीं पता मेरी मां का जन्मदिन कब है. बहुत कम लोगों को माता-पिता के जन्म की तारीख मालूम है. केंद्र सरकार को बिहार सरकार के द्वारा 15 फरवरी 2020 को पत्र लिखा गया है. पत्र में लिखा गया है कि एनपीआर 2010 के आधार पर कराया जाय.''


नीतीश कुमार ने कहा, ''किसी कन्फ्यूजन में मत रहिये. केंद्र को पत्र राजस्व विभाग के द्वारा भेजा गया है और राजस्व मंत्रालय बीजेपी के पास है. सारी बातचीत के बाद पत्र भेजा गया है.'' इसके बाद नीतीश कुमार ने विधानसभा अध्यक्ष से अपील की कि प्रस्ताव को पारित किया जाए कि एनपीआर 2010 के आधार पर हो लागू हो यह प्रस्ताव पारित हो.