पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज खुद को बड़ा गोपालक बताते हुए कहा कि वे सुबह सबसे पहले उठकर गोशाला ही जाते हैं. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की एक तिहाई आमदनी पशुपालन क्षेत्र से आती है, जिसे हमलोग और बढ़ाना चाहते हैं. मुख्यमंत्री पटना में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रथम स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा कि साल 2017 से 2022 तक तृतीय कृषि रोड मैप में कृषि एवं इससे संबद्घ अन्य क्षेत्रों के विकास के लिए काम किए जा रहे हैं. जमीन, शिक्षा, सिंचाई, पशु, मत्स्य, पर्यावरण जैसे विषयों को कृषि रोड मैप में विशेष स्थान दिया गया है.


नीतीश कुमार ने कहा कि जब हमने मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभाला था, तब राज्य का हरित आवरण क्षेत्र नौ प्रतिशत था. कृषि रोड मैप में इसे 15 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया. सर्वे रिपोर्ट के अनुसार उम्मीद है कि हमलोग जल्द इस लक्ष्य को प्राप्त करने में कामयाब होंगे.


मुख्यमंत्री ने कहा कि यह जानकर प्रसन्नता हुई कि देशी नस्ल के जानवरों का प्रतिशत देश से बिहार का बेहतर है. फ्रीजियन, साहिवाल, जर्सी नस्ल की गाय बिहार में लोग पाल रहे हैं लेकिन फ्रीजियन और साहिवाल नस्ल की गायें बिहार के वातावरण के अनुकूल अपने आपको नहीं ढाल पाती हैं. उन्होंने देशी नस्ल की गायों को बढ़ावा देने पर बल देते हुए कहा कि इसके लिए देशी सीमन की व्यवस्था करने की जरूरत है. हाल ही में पूर्णिया में सीमन फ्रोजेन केंद्र की स्थापना की गई है.


सीएम नीतीश ने कहा कि जानवरों के बेहतर रखरखाव के लिए अच्छे अस्पताल को बनाने की आवश्यकता है. उन्होंने पशु अस्पतालों को प्रभावशाली बनाने के लिए अलग-अलग विभाग बनाकर विशेषज्ञों को बहाल करने की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य के चार जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत जैविक खेती की शुरुआत की गई है. इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा. इसके लिए सरकार अनुदान भी दे रही है.


इसके साथ ही उन्होंने कहा कि साल 2012 में नालंदा जिले के सोहसराय के पास एक किसान की तरफ से किए गए जैविक खेती को देखने के लिए अमेरिकी वैज्ञानिक जोसेफ स्टिंग्लेट यहां पहुंचे थे. मुख्यमंत्री ने कहा, "बिहार में पशुपालन में काफी संभावना है. पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना होने से अनुसंधान और अध्ययन से नई-नई बातें सामने आएंगी. इसका फायदा कृषि एवं संबद्घ क्षेत्रों को मिलेगा. इससे बिहार को फायदा होगा, साथ ही यहां के किसानों को काफी लाभ होगा. बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के माध्यम से बिहार देश का एक उदाहरण बनेगा."


मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कृषि वैज्ञानिक डॉ अलाउद्दीन अहमद, डॉ एच आर मिश्रा और डॉ आरआर बी सिंह को शाल और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया. मुख्यमंत्री ने सफल पशुपालक किसानों और उद्यमियों को भी सम्मानित किया. इस कार्यक्रम को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री पशुपति कुमार पारस के अलावे कई अधिकारी और वैज्ञानिकों ने भी संबोधित किया.