नई दिल्ली: बिहार में गठबंधन दलों में तल्खी भरे रिश्तों के बीच 'दावत-ए-इफ्तार' का दौर जारी है. कल एनडीए के प्रमुख घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने इफ्तार का आयोजन किया. इस इफ्तार में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी दोनों पहुंचे. इससे पहले जेडीयू और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने इफ्तार का आयोजन किया था.
जेडीयू के इफ्तार से बीजेपी ने और सुशील मोदी के इफ्तार से जेडीयू ने दूरी बनाए रखी. लेकिन सोमवार को जब एनडीए के तीसरे घटक दल एलजेपी ने इफ्तार का आयोजन किया तो इसमें नीतीश कुमार और सुशील मोदी दोनों पहुंचे. दोनों ही नेता एलजेपी अध्यक्ष रामविलास पासवान के अगल-बगल में बैठे थे.
पासवान ने ट्वीट कर कहा, ''लोजपा द्वारा आयोजित दावत-ए- इफ़्तार में बिहार के राज्यपाल आदरणीय श्री लालजी टन्डन जी, विधानसभा स्पीकर श्री विजय कुमार चौधरी जी, मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी, उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी जी एवं नेतागण शामिल हुए.''
नीतीश कुमार पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के इफ्तार में भी पहुंचे. मांझी को जब नीतीश कुमार से पुरानी दुश्मनी की याद दिलाई गई तो उन्होंने कहा कि बीजेपी को भगाने के लिए अगर नीतीश कुमार का साथ मिलेगा तो हम लोग निश्चित तौर पर साथ देंगे. राजनीति में परमानेंट तौर पर कोई किसी का दुश्मन और दोस्त नहीं होता है. लार्जर इंटरेस्ट में छोटी-छोटी बातों को भूलना पड़ता है.
इससे पहले बिहार के उप मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने इफ्तार का आयोजन किया. इस इफ्तार में न तो नीतीश कुमार और न ही उनकी पार्टी जेडीयू का कोई नेता गया. बीजेपी नेता सुशील मोदी का कहना है कि यह एक धार्मिक आयोजन है, इसका राजनीतिक अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए. उन्होंने एकबार फिर दोहराया कि एनडीए में कहीं से कोई विवाद नहीं है. उन्होंने कहा कि रविवार को ही जद (यू), बीजेपी और आरजेडी की तरफ से इफ्तार पार्टी का आयोजन हो गया, जिससे परेशानी हुई है.
पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी नेता राबड़ी देवी ने भी रविवार को 10, सर्कुलर रोड स्थित आवास पर इफ्तार का आयोजन किया था. इस आयोजन में उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव मौजूद नहीं थे. हालांकि, आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप कई दिनों के बाद इस अवसर पर अपनी मां के आवास पर जरूर नजर आए. जेडीयू ने भी रविवार को ही इफ्तार का आयोजन किया, जिसमें बीजेपी के नेता नदारद दिखे.
दरअसल, बिहार में लोकसभा चुनाव में 40 सीटों में 39 सीटों पर एनडीए की जीत के बाद से जेडीयू और बीजेपी में तल्खी शुरू हो गई. दरअसल, 30 मई को जब मोदी कैबिनेट का शपथ ग्रहण हुआ तो इस दौरान जेडीयू के कोटे से एक भी मंत्री ने शपथ नहीं लिया. बीजेपी जेडीयू को मात्र एक सीट देने के पक्ष में थी, जबकि जेडीयू ज्यादा सीटों की मांग कर रही थी. जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने इसे सांकेतिक गठबंधन की संज्ञा देते हुए कहा कि अब जेडीयू कभी भी मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं होगी.
बात यहीं नहीं थमी. दो दिनों बाद ही बिहार में नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया, जिसमें बीजेपी के एक भी विधायक को शामिल नहीं किया. नीतीश कुमार ने इसी बहाने अपनी नाराजगी दिखा दी. हालांकि बीजेपी और जेडीयू दोनों ही पार्टी किसी भी तरह की नाराजगी से इनकार करती रही है.
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इन सब के बीच आरजेडी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद ने नीतीश कुमार के फिर से महागठबंधन में लौटने के सवाल पर कहा कि मैं बस इतना चाहता हूं कि बिहार में बीजेपी के खिलाफ सभी लोग साथ आएं.