पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सामने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. इसके साथ ही पुरानी मांगों को भी उनके सामने रखा. आज भुवनेश्वर में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 24वीं बैठक में नीतीश जमकर बोले. उन्होंने पुराने हिसाब किताब चुकता करने की मांग की. नीतीश ने कहा पिछली बैठक में उठाये गये कई मुद्दों पर अभी भी कार्रवाई लंबित है. इस परिषद में अंतर्राज्यीय मुद्दों के समाधान के लिए एक प्रणाली विकसित होनी चाहिए ताकि उच्चतम स्तर पर द्विपक्षीय मुद्दों का हल निकाला जा सके और इसका मॉनिटरिंग नियमित रूप से हो सके.
बिहार को मिले विशेष राज्य का दर्जा
नीतीश कुमार ने कहा कि पिछले कुछ सालों में दोहरे अंक का विकास दर हासिल करने के बावजूद भी हम विकास के प्रमुख मापदंडों मसलन गरीबी रेखा, प्रति व्यक्ति आय, औद्योगीकरण और समाजिक और भौतिक आधारभूत संरचना में राष्ट्रीय औसत से नीचे हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि हमारी तरह कई दूसरे राज्य भी पिछड़े हैं. जिन राज्यों को विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा मिला है, वे विकास के मामले में प्रगति किये हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसलिए पिछड़ेपन से निकल कर विकास के राष्ट्रीय औसत स्तर को प्राप्त करने के लिए बिहार को और इस जैसे दूसरे पिछड़े राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिलना आवश्यक है. हमने केन्द्र सरकार के समक्ष अपनी मांग को पुरजोर दोहराया है. उन्होंने कहा, ''आज मैं गृह मंत्री के सामने दोबारा अपनी मांग को रखता हूं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए ताकि हमें हमारा वाजिब हक मिल सके और बिहार भी आगे बढ़ कर देश की प्रगति में अपना योगदान दे सके.''
नीतीश कुमार ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा के लिए वामपंथी उग्रवादियों के खिलाफ यह लड़ाई राज्य और केंद्र सरकार की संयुक्त लड़ाई है. लेकिन केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की रैपिड एक्शन फोर्स की डेप्युटेशन पर होने वाले खर्च को उठाने का पूरा जिम्मा राज्य सरकार को दिया जाता है. इसलिए अनुरोध होगा कि इन खर्चों का वहन केंद्र और राज्य को संयुक्त रूप से करना चाहिए. उन्होंने कहा, ''यहां मैं यह स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि बिहार सरकार केंद्रीय बलों से संबंधित गृह मंत्रालय को किए जाने वाले भुगतान के प्रति हमेशा सजग रही है और समय पर भुगतान किया जाता है.''