372 साल में पहली बार ईद पर छाया सन्नाटा, 17 मार्च से कोरोना की वजह से ताजमहल बंद
कोरोना काल में देश में लॉकडाउन किया गया. इस दौर में देश थम सा गया. फैक्ट्री, काम-धंधा सब बंद कर दिये गये. ऐसा दौर शायद ही कभी आया है. इस का असर ताजमहल पर भी पड़ा। ईद के दन पहली बार ताज सूना रहा
आगरा, नितिन उपाध्याय। दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारत ताजमहल में 372 साल में पहली बार ईद पर सन्नाटा छाया रहा. सोमवार को ताज की शाही मस्जिद में ईद की नमाज अदा करने के लिए बाहर से कोई नहीं आया. कोरोना संकट के कारण ताजमहल 17 मार्च को बंद कर दिया गया था. लॉकडाउन लागू होने के कारण तब से लगातार बंद है.
ताजमहल परिसर के अंदर शाही मस्जिद में पहली बार सन्नाटा देखा गया. केवल सीआईएसएफ के सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी ही रही. ताज के तामीर होने के बाद 372 साल में यह पहला मौका है जब ईद पर ताज सूना रहा. ईद पर ताजमहल में सबसे ज्यादा रौनक होती थी. सिर्फ नमाज पढ़ने के लिए ही नहीं, ताज के दीदार के लिए भी बड़ी संख्या में लोग आते थे.
मुमताज महल की मजार है ताज ताजमहल शाहजहां की तीसरी बेगम मुमताज महल की मज़ार है. मुमताज के गुज़र जाने के बाद उनकी याद में शाहजहां ने ताजमहल बनवाया था. कहा जाता है कि मुमताज़ महल ने मरते वक्त मकबरा बनाए जाने की ख्वाहिश जताई थी जसके बाद शाहजहां ने ताजमहल बनावाया.
ताजमहल की शाही मस्जिद के इमाम सआदत अली ने बताया कि वो 20 साल से नमाज अदा करा रहे हैं. उनसे पहले उनके वालिद थे. कर्फ्यू के दौरान भी जुमे की नमाज पढ़ी गई थी. ऐसा कभी पहले हुआ ही नहीं कि बाहर से कोई नमाज पढ़ने ताज के अंदर न आया हो.
सआदत अली ने बताया कि ताजमहल में ईद की नमाज खास होती थी. दूर-दूर से लोग आते थे. इस बार मसला कोरोना का है. लोगों का इससे बचाव जरूरी है. लोगों ने घरों में ही ईद की नमाज अदा की. हमने कोरोना से मुल्क के लोगों के बचाव की दुआ की है.