लखनऊ: लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही आयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा एक बार फिर से गरमा गया है. बीजेपी, कांग्रेस, आरएसएस से लेकर पर्सनल लॉ बोर्ड तक इस मुद्दे पर अलग-अलग बयान दे रहे हैं. आज लखीमपुरखीरी में एक मॉल का उद्धाटन करने पहुंचे यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मार्यो ने भी राम मंदिर के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया.
केशव प्रसाद मोर्या ने कहा, "राम लला के मंदिर निर्माण को दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती है. हमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है, पर मैं ये दावे के साथ कह सकता हूं कि वहां राम मंदिर के निर्माण से हमें कोई नहीं रोक सकता. राम जन्म भूमि पर बाबर के नाम की एक भी ईंट नहीं रखने दी जायेगी." उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस जनेऊ धारण करके हिंदू समाज को धोखा देने का काम कर रही है.
बीते चंद दिनों में अनेक हिंदू संगठनों और बीजेपी नेताओं ने राम मंदिर के निर्माण को लेकर कई तीखे बयान दिया हैं. इसमें आरएसएस प्रमुख है. इस बीच मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिये वर्ष 1992 जैसा ही आंदोलन शुरू करने के आरएसएस के इरादे को मुल्क के लिये बेहद खतरनाक बताया है. लॉ बोर्ड ने कहा कि मंदिर को लेकर अचानक तेज हुई गतिविधियां पूरी तरह राजनीतिक हैं.
आपको बता दें कि कल दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में धर्मादेश के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से दिल्ली पहुंचे साधु संतों ने भी एक स्वर में जय श्री राम का नारा लगाते हुए एलान किया था कि केंद्र सरकार जल्द ही राम मंदिर बनाने को लेकर अध्यादेश लेकर आए. कल संतों ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल ज्यादा उम्मीद नहीं बची है और ऐसे में सरकार कानून बनाकर राम मंदिर बनाने का रास्ता प्रशस्त करें.
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क्या है अयोध्या मामला?
अयोध्या में केंद्र सरकार ने 1993 में एक्विजिशन ऑफ सर्टन एरियाज इन अयोध्या एक्ट के जरिए 67.70 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण कर लिया था. इसमें बाबरी मस्जिद या राम जन्मभूमि स्थान की 2.77 एकड़ जगह भी शामिल है. इस एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बहुमत से केंद्र सरकार के अधिग्रहण को सही करार दिया. लेकिन ये कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित जमीन उसी को दी जाएगी, जो अयोध्या का टाइटल सूट यानी भूमि विवाद से जुड़ा मुकदमा जीतेगा