बिना इजाजत 6000 हरे पेड़ काटने के मामले में बाबा रामदेव को हाईकोर्ट से राहत, आरोपों से हुए बरी
अदालत ने पेड़ काटे जाने के मामले में बाबा रामदेव को नोटिस भी दिया था. चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने पेड़ काटने के मामले में बाबा रामदेव को राहत देते हुए उन्हें आरोपों से बरी कर दिया, जबकि थोड़े से हिस्से को यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी के पास ही बने रहने के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी.
इलाहाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में फ़ूड एंड हर्बल पार्क बना रहे योग गुरु बाबा रामदेव को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने पार्क निर्माण के दौरान बिना इजाजत छह हजार के करीब हरे पेड़ काटे जाने के आरोपों से बाबा रामदेव को बरी कर दिया है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि गौतमबुद्ध नगर प्रशासन, यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी और यूपी सरकार की जांच में यह साबित नहीं हो पाया है कि पेड़ किसने काटे हैं. हालांकि यह राहत पाने के लिए बाबा रामदेव को पार्क के लिए मिली तकरीबन चवालीस एकड़ ज़मीन छोड़नी पड़ी है.
अदालत में सुनवाई के दौरान यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी ने कहा कि विवादित ज़मीन का पट्टा निरस्त कर उसने इसका अधिग्रहण कर लिया है और यह ज़मीन न तो बाबा रामदेव की संस्था को एलॉट की गई है और न ही किसी अन्य को. बाबा रामदेव को मिली साढ़े चार हजार एकड़ ज़मीन में से सिर्फ चवालीस एकड़ पर ही विवाद था.
चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने इस मामले में दाखिल की गई अर्जी को निस्तारित कर दिया है. अदालत ने याचिकाकर्ता किसानों को यह छूट दी है कि अगर वह चाहें तो अपने द्वारा लगाए गए पेड़ों के मुआवजे के लिए जिला प्रशासन से आवेदन कर सकते हैं. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी से भी कटे हुए पेड़ों से पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के लिए आसपास की जगहों पर नये पेड़ लगाने व दूसरे वैकल्पिक कदम उठाने को कहा है.
बता दें कि यूपी की पूर्व अखिलेश यादव सरकार ने बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि योग संस्थान को गौतमबुद्ध नगर जिले के नोएडा के कादलपुर व शिलका गांव में फ़ूड एंड हर्बल पार्क के लिए तकरीबन साढ़े चार हजार एकड़ जमीन पट्टे पर दी थी. यह ज़मीन यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी के तहत आती है. एक दिसम्बर साल 2016 को तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने लखनऊ से ही इस पार्क का शिलान्यास भी किया था. साल भर में शुरू होने वाले इस प्रोजेक्ट पर बाबा रामदेव को करीब सोलह सौ करोड़ रूपये खर्च करने थे.
आरोप है कि बाबा की संस्था ने बिना परमीशन यहां छह हजार पेड़ काटकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है. आरोप यह भी है कि जो जमीन बाबा को दी गई है, उसका कुछ हिस्सा पहले से ही किसानों के पास लीज पर है. ऐसे में पुरानी लीज रद्द हुए बिना बाबा को इस जमीन का पट्टा नहीं दिया जा सकता. मामले में पहले से लीज पाने वाले औसाफ़ समेत नौ किसानो ने अर्जी दाखिल की थी.
अदालत ने पेड़ काटे जाने के मामले में बाबा रामदेव को नोटिस भी दिया था. चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने पेड़ काटने के मामले में बाबा रामदेव को राहत देते हुए उन्हें आरोपों से बरी कर दिया, जबकि थोड़े से हिस्से को यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी के पास ही बने रहने के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी. अथॉरिटी की तरफ से कहा गया कि विवादित चौवालीस एकड़ ज़मीन का पट्टा निरस्त कर उसका अधिग्रहण कर लिया गया है और यह हिस्सा फिलहाल अथॉरिटी के पास ही है और उसे किसी दूसरे को एलाट नहीं किया गया है.