लखनऊ: योगी राज में होने वाली पहली बोर्ड परीक्षा शुरू होने से पहले ही विवादों में घिर गई है. छह फरवरी से शुरू हो रहे बोर्ड इम्तहान में शामिल होने वाले सभी सड़सठ लाख स्टूडेंट्स को इस बार फार्म भरते समय आधार कार्ड के बारे में भी बताना होगा. जो स्टूडेंट आधार कार्ड की जानकारी नहीं देगा, उसे परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया जाएगा.


इस बारे में इलाहाबाद में यूपी बोर्ड के हेडक्वार्टर में बैठे ज़िम्मेदार अफसरों ने कुछ भी बोलने से साफ़ मना कर दिया. फैसले पर जिला लेवल के अफसरों ने दावा किया कि यह फैसला बोर्ड के इम्तहान में नक़ल रोकने व फर्जीवाड़े को ख़त्म करने के मकसद से लिया गया है. सरकार के इस फैसले पर विवाद शुरू हो गया है. छात्रों और अभिभावकों से लेकर टीचर्स तक इसे मानसिक तनाव बढ़ाने वाला जल्दबाजी में लिया गया फैसला बता रहे हैं.


लोगों का कहना है कि इम्तहान में सिर्फ दो महीने का वक्त बचा होने पर आधार कार्ड जरूरी करने का फरमान उनके लिए मुसीबत का सबब बन सकता है. लोगों का कहना है कि आख़िरी वक्त में वह इम्तहान की तैयारी करें या फिर आधार कार्ड के लिए परेशान हों. लोगों का कहना है कि इस फैसले को लागू करने से पहले उसके व्यवहारिक पक्ष को जरूर देख लेना चाहिए था.


योगी सरकार ने बच्चों को टेंशन फ्री करने व तैयारी के लिए ज्यादा वक्त देने के मकसद से इस बार बोर्ड़ परीक्षा शेड्यूल दो महीने पहले ही जारी करा दिया था. लेकिन फार्म में आधार कार्ड की जानकारी अनिवार्य करने से स्टूडेंट्स और उनके परिवार वालों की नींद उड़ गई है. ऐसे में यह फैसला लागू हो सकेगा, इसे लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं.