लखनऊ: क्या भारतीय समाज पार्टी अगले लोकसभा चुनाव तक बीजेपी के साथ बनी रहेगी? पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के तीखे तेवरों से ये सवाल उठने लगे हैं. योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद राजभर अपनी ही सरकार का कई बार विरोध कर चुके हैं. 4 जुलाई को उन्होंने लखनऊ में अपनी पार्टी के नेताओं की मीटिंग बुलाई है. इस बैठक में बीजेपी के साथ गठबंधन से लेकर पार्टी के कामकाज पर पर मंथन होगा. यूपी में भारतीय समाज पार्टी के चार विधायक हैं.


यूपी में बीजेपी की दो सहयोगी पार्टियां हैं. अपना दल और भारतीय समाज पार्टी. अपना दल के साथ बीजेपी के रिश्ते मीठे रहे हैं लेकिन भारतीय समाज पार्टी के संबंध बीजेपी से कभी मीठे तो कभी कड़वे रहे हैं.


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यूपी के पूर्वांचल में पिछड़ों की इस पार्टी का क़रीब 40 विधानसभा सीटों पर दबदबा रहा है. हाल के महीनों में राजभर कई मुद्दों पर योगी सरकार की ही खिंचाई करते रहे हैं. उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि बीजेपी सरकार में भ्रष्टाचार और बढ़ गया है.


राजभर ने कहा कि सरकार में उनकी कोई पूछ नहीं है. उनकी नाराज़गी दूर करने के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें दिल्ली बुला कर उनसे बातचीत की लेकिन बात अब तक बनी नहीं है. पिछले ही महीने राजभर अपने गाँव में ख़ुद ही सड़क बनाने कुदाल लेकर उतर गए थे.


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उनके घर में बेटे की शादी थी. राजभर की शिकायत थी कि बार बार कहने के बाद भी उनके यहाँ की सड़क नहीं बन पाई. अगले साल लोकसभा के चुनाव हैं. यूपी में सबसे अधिक 80 सीटें हैं. पिछली बार बीजेपी को 71 और उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल को 2 सीटें मिली थीं.


अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल मोदी सरकार में मंत्री हैं. इसी हफ़्ते लखनऊ में अपना दल के कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ भी पहुँचे थे. ओम प्रकाश राजभर अपनी और अपनी पार्टी की अनदेखी से इन दिनों नाराज़ चल रहे हैं.


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समाजवादी पार्टी भी उन पर डोरे डाल रही है. राजभर जानते हैं कि अपनी बात मनवाने का यही सही वक़्त है. बीजेपी ने उनसे मुक़ाबले के लिए वाराणसी के अनिल राजभर को राज्य मंत्री बना रखा है जबकि बलिया के सकलदीप राजभर को इसी साल राज्य सभा का सांसद बनाया गया लेकिन ओम प्रकाश राजभर अब भी अपनी बिरादरी के सबसे बड़े नेता बने हुए हैं. बुधवार को होने वाली बैठक में लोकसभा चुनाव को लेकर भी रणनीति पर बातचीत होगी.


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