बिहार: राज्य से बाहर फंसे छात्रों और प्रवासी मज़दूरों का मामला बिहार में अब और गरमा सकता है. अभी तक तो केवल आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के साथ अन्य विपक्षी नेता ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर इन छात्रों और मज़दूरों को वापस लाने का दबाव बनाते आए हैं लेकिन अब उनके सहयोगियों ने भी इस मुद्दे पर नीतीश कुमार से कुछ रास्ता निकालने की मांग की है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के वरिष्ठ सांसद रामकृपाल यादव ने नीतीश कुमार से हस्तक्षेप करने की मांग की है. यादव ने एबीपी न्यूज़ से कहा, "मैं भी मानता हूँ कि बिहार सरकार के सामने चुनौती बहुत बड़ी है लेकिन एक जनप्रतिनिधि होने के नाते लोग लगातार हमसे मांग कर रहे हैं कि छात्रों और प्रवासी मज़दूरों को वापस बिहार लाया जाए, खासकर तब जबकि बाक़ी राज्य ऐसा कर रहे हैं ".


जेडीयू ने कहा - लॉकडाउन का उल्लंघन होगा


उधर जेडीयू ने ऐसी किसी भी मांग को सिरे से खारिज कर दिया.पार्टी के प्रधान महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता के सी त्यागी ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि बिहार सरकार तब तक छात्रों और मज़दूरों को वापस नहीं लाएगी जब तक लॉकडाउन के नियम नहीं बदले जाते. त्यागी ने नीतीश सरकार के इस रुख़ का बचाव करने के लिए महाराष्ट्र के नांदेड़ से पंजाब पहुंचे सिख श्रद्धालुओं का हवाला दिया. त्यागी ने कहा कि वापस पहुंचे श्रद्धालुओं में से कई लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं और महामारी का ख़तरा पंजाब लेकर पहुंच गए हैं.


नीतीश ने गाइडलाइन बनाने को कहा था


27 अप्रैल को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के बीच हुई बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने छात्रों और प्रवासी मज़दूरों को वापस लाने के मसले सभी राज्यों के लिए एक तय दिशानिर्देश लागू करने का सुझाव दिया था. नीतीश कुमार को इस मुद्दे पर ओडिसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का भी साथ मिला था.