यूपी में ऑपरेशन क्लीन: लापरवाह अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस
इन दिनों सरकार ने यूपी में ऑपरेशन क्लीन चला रखा है, जिसमें सरकारी अफसरों और कर्मचारियों की गलत हरकतों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही है.
लखनऊ: पिकअप भवन में आग लगी तो दोषी अफसर गिरफ्तार, सड़क बनाने में लापरवाही पर तीन इंजीनियर निलंबित, भ्रष्टाचार और ड्यूटी में हीलाहवाली करने वाले पुलिसवाले सर्विस से बाहर. ये खबरें हर रोज उत्तर प्रदेश के सरकारी महकमों से सामने आ रही हैं. दरअसल इन दिनों सरकार ने यूपी में ऑपरेशन क्लीन चला रखा है, जिसमें सरकारी अफसरों और कर्मचारियों की गलत हरकतों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही है.
बीती तीन जुलाई को पिकअप भवन में अग्निकांड हुआ था, जिसमें कई विभागों की जरूरी फाइलें जलकर राख हो गईं थीं. शुरू से ही इस घटना को लेकर सवाल खड़े होने लगे और इसमें साज़िश की बू आने लगी. इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कमेटी बनाकर जांच शुरू करवा दी. जांच में पता चला कि अग्निकांड में सीनियर मैनेजर एनके सिंह की गतिविधियां संदिग्ध हैं. ऐसे में बिना किसी देरी के उन्हें पुलिस ने बुधवार को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया.
इसी क्रम में योगी सरकार ने अपर आयुक्त चकबंदी सुरेश यादव को ग्राम समाज की डेढ़ करोड़ की भूमि गलत तरीके से देने के आरोप में बर्खास्त कर दिया. साथ ही उनके खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति भी दे दी गई.
योगी आदित्यनाथ के बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या भी ऐक्शन में नज़र आये. मौर्या ने विभागीय कार्य में अनियमितता बरतने पर गुरुवार को तीन अभियंताओं को निलंबित कर दिया, जबकि अभियंता ब्रज बिहारी सिंह, अनिल कुमार सिंह और विनोद तिवारी का ट्रांसफर कर दिया गया. इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने बिना किसी टेंडर या अनुबंध के 11 किलोमीटर की सड़क का निर्माण शुरू करा दिया. इस तरह ये लोग 2 करोड़ 7 लाख के काम में खेल कर करके विभाग को चूना लगा रहे थे.
उधर पुलिस महकमे में छंटनी की कार्रवाई भी तेजी पर आ गई है. बरेली और वाराणसी जोन के बाद कानपुर जोन के तमाम पुलिकर्मियों को जबरन रिटायर करने के आदेश भी गुरुवार को जारी हो गए. ताज़ा आदेश के तहत करीब 28 दरोगा-सिपाहियों को जबरन सेवानिवृत्त दे दी गई. पुलिस के आला अधिकारियों ने बताया कि अभी ये क्रम आगे भी चलता रहेगा.