नई दिल्ली:  चुनाव के चलते आम बजट को पेश न करने की मांग को लेकर विपक्ष चुनाव आयोग पहुंच गया है. कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल आज सुबह 11 बजे चुनाव आयोग पहुंचा था.


चुनाव तारीख से तीन दिन पहले बजट पेश करने की तारीख पर विपक्ष ने चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने चुनाव आयोग से समय मांगा था. कांग्रेस से वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के अलावा अहमद पटेल, वहीं टीएमसी, डीएमके, आरएलडी और जेडीयू के वरिष्ठ नेता भी चुनाव आयोग पहुंचे थे.


विपक्ष का आरोप है‍ कि सत्‍ता पक्ष इसके माध्‍यम से आने वाले पांच राज्‍यों के विधानसभा चुनाव में फायदा ले सकता है. कांग्रेस चुनाव आयोग से मांग करेगी कि आचार संहिता के दौरान बजट पेश न हो बल्कि वोट आन अकाउंट पेश किया जाए. 2012 में यूपी चुनाव की घोषणा के समय नतीजे के बाद बजट पेश हुआ था.


निर्वाचन आयोग पहुंचने से पहले जेडीयू के नेता के.सी. त्यागी ने कहा, "विधानसभा चुनाव के महज तीन दिन पहले केंद्रीय बजट पेश किए जाने से सरकार को न सिर्फ मतदताओं के लुभाने के लिए अनुचित लाभ मिलेगा, बल्कि वास्तव में यह आचार संहिता का उल्लंघन भी है." कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी कहा कि चुनाव से ठीक पहले बजट पेश किया जाना स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करेगा.

शर्मा ने कहा, "यह सुनिश्चित करना निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी है कि ऐसे हालात सामने न आएं, जिससे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव प्रभावित हो. हमने इस संबंध में पहले ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को सूचित कर दिया है." वहीं, केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने कहा कि यह कोई मुद्दा ही नहीं है. विपक्षी दल बेवजह इसे तूल देकर सरकार के संवैधानिक कर्तव्य का राजनीतिकरण कर रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, "बजट सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है. इसका किसी राज्य से कोई संबंध नहीं है. बजट (1 फरवरी को) पेश किए जाने का निर्णय अचानक नहीं लिया गया है, बल्कि इस बारे में पहले ही फैसला किया जा चुका है और सभी संबंधित पक्षों को इसकी जानकारी समय रहते दी गई." वहीं, बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि बजट का विरोध कांग्रेस और सपा की हताशा को दिखाता है.

उन्होंने कहा, "उत्तराखंड में कांग्रेस और उत्तर प्रदेश में सपा सरकार में है. उन्होंने पिछले पांच साल के अपने कार्यकाल में कोई काम नहीं किया है और इसलिए वे बजट (1 फरवरी को पेश किए जाने) को लेकर डरे हुए हैं." उन्होंने कहा, "बजट एक संवैधानिक अनिवार्यता है और इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है. देश में लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव होते रहे हैं. इनकी वजह से कभी बजट को स्थगित नहीं किया जाता."

 


इस मामले पर जेटली ने कहा है, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अंतरिम बजट पेश किया जाता है. किसी ने उसे नहीं रोका. यहां तक कि 2014 में बजट आम चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले पेश किया गया. यह संवैधानिक आवश्यकता है.



बता दें कि पिछले दिनों केंद्रीय संसदीय कमेटी ने बैठक में आम बजट एक फरवरी को पेश करने का प्रस्‍ताव दिया था. हालांकि इस पर अभी अंतिम मौहर नहीं लगी है, लेकिन चार फरवरी से यूपी समेत पांच राज्‍यों होने वाले चुनावों को देखते हुए विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया है.


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