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लखनऊ-गोरखपुर नेशनल हाईवे पर बन रहे ओवरब्रिज का एक हिस्सा गिरा, सामने आई लापरवाही
लोगों का कहना है कि पुल में लापरवाही बरतने की जानकारी मौके पर मौजूद इंजीनियरों को भी दी गई थी लेकिन वे किसी की बात सुनने को तैयार ही नहीं थे, जिसका नतीजा ये हुआ कि ब्रिज चालू होने से पहले ही धराशायी हो गया.
बस्तीः बस्ती में लखनऊ गोरखपुर नेशनल हाईवे पर बन रहे ओवरब्रिज का एक हिस्सा आज सुबह गिर गया. ये हादसा उस वक्त हुआ जब ब्रिज की शटरिंग खोली जा रही थी. बताया जा रहा है कि दो महीने पहले ही ओवरब्रिज में गड़बड़ी का बात सामने आई थी. पहले भी ब्रिज में खराब मैटेरियल लगाने और लापरवाही बरतने का आरोप लगाया जाता रहा है. खबरों के अनुसार दो महिने पहले ब्रिज का काम चल रहा था जिसमे बाक्सिंग स्लाईडर दरक रही थी. साथ ही पुल का जो हिस्सा आज गिरा है वहां भी मैटेरियल लगाने में लापरवाही की जा रही थी.
लोगों का कहना है कि पुल में लापरवाही बरतने की जानकारी मौके पर मौजूद इंजीनियरों को भी दी गई थी लेकिन वे किसी की बात सुनने को तैयार ही नहीं थे, जिसका नतीजा ये हुआ कि ब्रिज चालू होने से पहले ही धराशायी हो गया. लोगों का कहना है अगर समय रहते ओवरब्रिज के निर्माण में हो रही गड़बड़ी को ठीक कर लिया गया होता तो आज ये हादसा न होता.
खबरों के अनुसार पुल बनाकर शटरिंग कर दी गई मगर शटरिंग खोलते ही पुल गिर पड़ा. बताया जा रहा कि पुल बनाने में जिन सामानों का प्रयोग किया गया वो गुणवत्ता के हिसाब से ठीक नहीं थे. पुल में लगे सीमेंट और सरिया ये सवाल खड़ा करती है कि पुल बनाने में किस तरह का मैटेरियल प्रयोग किया जा रहा था.
भारत सरकार की सड़क और परिवाहन मंत्रालय ने हैदराबाद की कपंनी केएमसी को पुल बनाने का ठेका दिया था. उसके बाद केएमसी ने वीसीआईपीएल को ओवरब्रिज के निर्माण का जिम्मा दे दिया और वीसीपीएल ने लेबर के सप्लाई के लिये पोपली नाम की एक कंपनी से अनुबंध किया. आरोप है कि यहीं पर कपंनी के अफसरों ने भ्रष्टाचार कर लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर दिया.
डीएम राजशेखर ने एक हफ्ते पहले ही ब्रिज का निरीक्षण कर इंजीनियरों को जरूरी निर्देश भी दिए थे मगर नतीजा शून्य रहा. जानकारी के अनुसार ब्रिज का निर्माण 15 करोड़ की लागत से हो रहा था और एक महिने में ब्रिज को चालू करके के जनता को सौंप देने की बात कही जा रही थी, लेकिन उससे पहले ही ओवरब्रिज गिर पड़ा.
बहरहाल डीएम राजशेखर ने मामले की जांच का आदेश दे दिया है. जिलाधिकारी ने दोषी इंजीनियरो के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की ने बात की है. मंत्रालय को पत्र भेजकर डीएम ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन करा दिया है, जो पुल निर्माण में की गई धांधली की जांच करेगी.
गौरतलब है कि हैदराबाद की कपंनी केएमसी ने 70 प्रतिशत के शेयर पर वीसीआईपीएल को काम करने का ठेका दिया था. बहरहाल एक किलोमीटर लंबे इस ब्रिज का लगभग 50 मीटर हिस्सा गिर पड़ा है जिससे सरकार को कम से कम एक करोड़ का नुकसान हुआ है और यह पुल अब 6 माह पीछे चला गया. सांसद हरीश द्विवेदी ने मामले की जानकारी होने के बाद सड़क व परिवहन मंत्रालय को पत्र लिखकर कड़ी कार्यवाही करने की सिफारिश भी की है.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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