वाराणसी: रेलवे क्रासिंग पर निकलने की जल्दी किस तरह मौत को दावत देना है, इसकी बानगी बीती अप्रैल में कुशीनगर में देखने को मिली थी. मानवरहित क्रासिंग से निकलने की जल्दी में ड्राईवर ने 13 मासूमों को मौत की नींद सुला दिया था. लेकिन किसी रेलवे क्रासिंग पर बैरियर लगा हो और ट्रेन आने का सिग्नल भी हो जाए तो बीच ट्रैक में पहुंच जाना आत्महत्या करने के बराबर होगा. ऐसा ही नजारा बीती 9 जून को भीमचंडी इलाके में देखने को मिला. यहां रेलवे क्रासिंग बंद होता देखकर भी एक बोलेरो के ड्राईवर ने गाड़ी आगे बढ़ा दी. नतीजा यह हुआ कि ट्रेन के जाने तक बोलेरो क्रासिंग के बीच फंसी रही.
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वीडियो वायरल होने के बाद सामने आया मामला
इस मामले का वीडियो अब वायरल हुआ तो पूरी घटना की जानकारी सामने आई. रामेश्वरम से मंडुवाडीह आने वाली 15119 मंडुवाडीह-रामेश्वरम एक्सप्रेस के आने का समय हो चुका था. ट्रेन अपने नियत समय से लगभग साढ़े चार घंटा लेट चल रही थी और करीब 9:30 बजे भीमचंडी क्रासिंग से गुजरने वाली थी. रेलवे कंट्रोलल से सिग्नल मिलने के बाद रेलवे क्रासिंग का गेट बंद होना शुरू ही हुआ था. गेट बंद होते देख बोलेरो के ड्राईवर ने अपनी स्पीड बढ़ा दी. नतीजा यह हुआ कि बोलेरो पहला बैरियर तो क्रॉस कर गई, लेकिन जब तक वह क्रासिंग पूरी तरह पार करती दूसरा बैरियर गिर चुका था.
गाड़ी के पीछे से गुजरने लगी ट्रेन
इससे पहले कि कोई कुछ समझा पाता, मंडुवाडीह-रामेश्वरम एक्सप्रेस स्पीड में बोलेरो के पीछे से गुजरने लगी. नजारा देख क्रासिंग पर खड़े लोगों की साँसे थम गईं क्योंकि बोलेरो से महज कुछ इंच की दूरी से ट्रेन गुजर रही थी. अगर ज़रा सा भी चूक होती तो बोलेरो के परखच्चे उड़ जाते. उस समय न केवल बोलेरो में सवार लोगों का जिंदगी दांव पर लगी थी बल्कि क्रासिंग पर खड़े लोग भी एक्सीडेंट की चपेट में आ सकते थे. यह तो संयोग ही रहा कि मंडुवाडीह-रामेश्वरम एक्सप्रेस बोलेरो को बिना छुए वहां से गुजर गई नहीं तो ड्राईवर की यह लापरवाही कई मौतों का सबब बन जाती.
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ड्राईवर ने दी ये दलील
इसके बाद जब ड्राईवर से इस लापरवाही का कारण पूछा गया तो उसने दलील दी कि पहला बैरियर थोड़ा सा गिरा था, इसी के चलते गाड़ी आगे बढ़ा दी थी. उसके मुताबिक़ अगर दूसरे बैरियर में भी थोड़ी सी जगह मिल जाती तो वह उसे पार कर निकल जाता. जब उसको याद दिलाया गया कि उसके चलते न केवल बोलेरो में बैठे लोगों की जान जा सकती थी बल्कि वहां खड़े लोगों पर खतरा मंडरा रहा था, तो ड्राईवर ने "गलती तो हो गई, अब क्या करें" कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया.
रेलवे क्रासिंग इंस्टाल कर दिए गए हैं ऑटोमैटिक सिस्टम
इस बारे में नॉर्दर्न रेलवे के एरिया मैनेजर रवि प्रकाश चतुर्वेदी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि रेलवे ने अब अपने सिग्नलिंग सिस्टम को अपग्रेड कर दिया है. अब रेलवे क्रासिंग पर ऑटोमैटिक सिस्टम इंस्टाल कर दिए गए हैं. इसके चलते अब ट्रेन आने पर क्रासिंग का गेट अपने आप बंद हो जाता है. उन्होंने बताया कि जब गेट बंद होना शुरू हुआ तो जल्दी निकलने के चक्कर में यह बोलेरो ड्राईवर क्रासिंग के अंदर पहुंचा और वहीं फंस गया. उन्होंने इस बोलेरो ड्राईवर की पहचान कर इसके खिलाफ कार्रवाई की बात कही. उन्होंने कहा कि रोड पर चलने वाली व्हीकल्स के ड्राइवर्स को रेलवे क्रासिंग का गेट बंद होने पर रेलवे के कर्मचारियों का सहयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर कोई ड्राईवर ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ रेलवे एक्ट की धाराओं के तहत दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी.
वाराणसी: रेलवे क्रासिंग पर फंसी गाड़ी, पीछे से निकलने लगी ट्रेन
एबीपी न्यूज
Updated at:
18 Jun 2018 09:45 AM (IST)
रेलवे क्रासिंग का गेट बंद होना शुरू ही हुआ था. गेट बंद होते देख बोलेरो के ड्राईवर ने अपनी स्पीड बढ़ा दी. नतीजा यह हुआ कि बोलेरो पहला बैरियर तो क्रॉस कर गई, लेकिन जब तक वह क्रासिंग पूरी तरह पार करती दूसरा बैरियर गिर चुका था.
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