नई दिल्ली: लॉकडाउन के लागू होने के बाद से ही देशभर में ग़रीबों को अनाज मिलने में दिक्कत का मामला लगातार उठाया जा रहा है . सरकार ने खाद्य सुरक्षा क़ानून के लाभार्थियों को हर महीने 5 किलो अनाज और 1 किलो दाल मुफ़्त देने का ऐलान किया है .
खाद्य सुरक्षा कानून में 8.71 करोड़ लोग
खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मन्त्री रामविलास पासवान ने एक तरह से बिहार में अपने सहयोगी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है . मामला ग़रीबों को मिलने वाले अनाज का है . पासवान ने कहा है कि खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत बिहार में जितने लाभार्थी होने चाहिए उससे काफ़ी कम हैं . पासवान के मुताबिक़ इस क़ानून के तहत बिहार में 8.71 करोड़ लाभार्थी होने चाहिए जबकि हैं 8.57 करोड़ लोग . इसका मतलब ये हुआ कि राज्य में क़रीब 14 लाख ग़रीब ऐसे हैं जिन्हें इस कानून के तहत मिलने वाले सस्ते अनाज का फ़ायदा नहीं मिल रहा है . पासवान ने 17 अपैल को बिहार के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी से इस मामले पर बात भी की थी .
पासवान ने नीतीश से किया आग्रह
अब रामविलास पासवान ने सीधे नीतीश कुमार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की ग़ुज़ारिश की है . गुरुवार को पासवान ने ताबड़तोड़ तीन ट्वीट करके इस मसले पर अपनी बात रखी . उन्होंने कहा कि सुशील मोदी से मामला उठाने का फ़ायदा तो हुआ लेकिन उसके बाद भी राज्य की ओर से बाक़ी बचे 14 लाख लाभार्थियों में से केवल 7.4 लाख लाभार्थियों का ही नाम भेजा गया वो भी केवल पीएम ग़रीब कल्याण योजना के तहत दिए जा रहे मुफ़्त अनाज के लिए .... जिसकी मंज़ूरी दे दी गई है . मतलब ये , कि तीन महीने के बाद इस योजना के ख़त्म हो जाने के बाद इन 7.4 लाख लाभर्थियों को अनाज मिलना बन्द हो जाएगा . इसलिए अब पासवान ने सीधे ही नीतीश कुमार के दरवाज़े पर दस्तक दी है ताकि खाद्य सुरक्षा कानून से बाहर पूरे 14 लाख लोगों को स्थाई तौर पर लाभार्थियों की सूची में शामिल किया जा सके .
क्या है पीएम ग़रीब कल्याण योजना ?
लॉक डाउन शुरू होने के बाद मोदी सरकार ने पीएम ग़रीब योजना का ऐलान किया था . इसमें अन्य बातों के अलावा खाद्य सुरक्षा क़ानून के दायरे में आने वाले सभी लाभार्थियों को पहले से जारी स्किम के अलावा 3 महीने तक हर महीने 5 किलो अनाज और 1 किलो दाल मुफ़्त देने का ऐलान किया गया था . देशभर में खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत क़रीब 81 करोड़ लाभार्थी हैं लेकिन देश के अलग राज्यों के क़रीब 50 लाख योग्य लाभार्थियों के नाम इस सूची में शामिल नहीं हैं . इनमें 14 लाख लोग तो बिहार में ही हैं .