पटना: बिहार के 12 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. आपदा की इस घड़ी में सरकार ने सभी जिलों को मेडिकल अलर्ट घोषित किया है. वहीं डॉक्टरों द्वारा एनएमसी बिल के विरोध में हड़ताल पर उतर आए हैं. इसका असर पटना के अस्पतालों में भी देखने को मिल रहा है. पटना के विभिन्न अस्पताल जैसे पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, एनएमसीएच के डॉक्टर बिल का कड़ा विरोध कर रहे हैं. इस वजह से सभी अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है.


दूर-दूर से आए मरीज के परिजन हलकान और परेशान हो रहे हैं. डॉक्टरों की विरोध का कोपभाजन मरीज के परिजनों को भुगतना पड़ रहा है. पटना के आईजीआईएमएस में डॉक्टरों ने एनएमसी बिल को लेकर प्रदर्शन किया और सभी ओपीडी सेवाएं ठप हो गई हैं. वहीं दूसरी तरफ एनएमसीएच में डॉक्टरों के हड़ताल पर होने की वजह से भी स्वास्थ्य सेवाएं ठप हैं.


डॉक्टरों का कहना है कि सरकार इस बिल को लाकर उनके साथ नाइंसाफी कर रही है. उन्होंने कहा कि एमबीबीएस की पढ़ाई करने में कुल साल साल का समय लगता है लेकिन एनएमसी बिल के लागू हो जाने के बाद छह महीने में डॉक्टर की उपाधि मिल जाएगी. अब डिग्री लेकर लोग गांव देहात में अपना क्लीनिक खोल लेंगे जिससे कि मरीज बेमौत मारे जाएंगे. इस बिल के आ जाने के बाद छह महीने में 3 लाख 75 हज़ार डॉक्टर तैयार हो जाएंगे. इससे हमारे देश का भविष्य क्या होगा?


दूसरी तरफ दूर-दूर से आए मरीज के परिजनों का कहना है कि सरकार और डॉक्टर की लड़ाई में हम लोग अक्सर पिस जाते हैं. हम लोग दूर-दूर से इस आस में आते हैं कि आज हमारा अस्पताल में इलाज होगा लेकिन डॉक्टरों के इस रवैया से परेशान भी बहुत ज्यादा हो गए हैं.


क्यों हो रहा है विरोध


डॉक्टरों का विरोध दो मुख्य मुद्दों को लेकर है, पहला है कि बिल के पास होने के बाद एमबीबीएस पास करने के बाद प्रैक्टिस करने के लिए एक टेस्ट देना होगा. ऐसा कोई प्रावधान अभी सिर्फ विदेश से पढ़कर आने वाले छात्रों के लिए के लिए है. इसके बाद दूसरा मुख्य मुद्दा नॉन मेडिकल शख्स को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और इलाज करने का कानूनी अधिकार देने का है. डॉक्टरों के मुताबिक ऐसा प्रवाधान होने से झोलाछाप डॉक्टर बढ़ेंगे.