पटना: जजों की आम जनता के बीच एक आदर्श छवि होती है. आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि संवैधानिक मूल्यों, नागरिक अधिकार और न्याय का फैसला करने वाले जज अपने निजी जिंदगी में भी इन चीजों को लागू करते होंगे. लेकिन हमेशा ये बात सही नहीं होती है. ऐसा ही एक मामला बिहार से आया है जहां आरोप है कि एक जज अपनी बेटी को उसकी इच्छा के मुताबिक शादी नहीं करने दे रहे हैं.
हालांकि पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए लड़की के लिए चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के गेस्टहाउस में रहने का इंतजाम करने का आदेश दिया है. दरअसल जिला और सत्र न्यायालय जज की बेटी सुप्रीम कोर्ट के एक वकील से प्यार करती है और वो अपना घर छोड़ कर उससे शादी करना चाहती है. लेकिन घरवाले उसकी इस इच्छा के खिलाफ हैं. लड़की ने चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी(सीएनएलयू) से ग्रेजुएशन की है.
पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन और जस्टिस राजीव रंजन की डिवीजन बेंच ने पटना एएसपी को आदेश दिया कि वे लड़की की सुरक्षा के लिए एक महिला पुलिस ऑफिसर को तैनात करें. वहीं कोर्ट ने सीएनएलयू को आदेश दिया कि वे लड़की के रहने, खाने-पीने समेत सभी खर्च उठाएं. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस के चैंबर में हुई थी जहां पर इस केस से जुड़े लोगों के अलावा और किसी के मौजूद रहने की इजाजत नहीं थी.
बता दें कि 22 जून को एक न्यूज़ पोर्टल पर खबर छपी थी कि जिला और सत्र न्यायालय के जज और उनकी पत्नी को जब ये पता चला कि उनकी बेटी किसी से प्यार करती है तो उन्होंने उसे बाहर कर दिया. इसी मामले पर शनिवार को कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था.
कोर्ट ने लड़की के लिए किसी और जगह रहने का इंतजाम इसलिए करवाया क्योंकि उसने मना कर दिया था कि वो अपने घरवालों के साथ नहीं रहना चाहती है. इस मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी. तब तक के लिए लड़की को ये मौका दिया गया है कि उसका अंतिम फैसला क्या है. हालांकि लड़की ने कोर्ट को पहले ही बता दिया है कि वो जिससे प्यार करती है उसी से शादी करना चाहती है.