Lok Sabha Election 2019: बिहार की राजधानी में दिग्गजों के बीच टक्कर है. शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब लोकसभा सीट लगातार तीसरी बार बचाने के लिए चुनाव मैदान में हैं और उनका मुकाबला केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से है. पटना साहिब लोकसभा सीट पर कुल मिलाकर 18 उम्मीदवार मैदान में हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में पूरा शहर और बाहरी क्षेत्र के कुछ हिस्से आते हैं. हालांकि इसे मुख्य तौर पर अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा और रविशंकर प्रसाद के बीच सीधे मुकाबले के तौर पर देखा जा रहा है.


पटना साहिब संसदीय क्षेत्र का नाम सदियों पुराने सिख गुरुद्वारे पर रखा गया है जो कि गंगा किनारे स्थित है और जहां गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था और वहां उनका बचपन बीता था. पटना साहिब सीट 2008 के सीमांकन में अस्तित्व में आयी और शत्रुघ्न सिन्हा ने यहां से 2009 में जीत दर्ज की और पांच साल बाद इसे बरकरार रखा. ‘बिहारी बाबू’ के नाम से लोकप्रिय शत्रुघ्न सिन्हा ने पटना साहिब से तीसरी बार जीत दर्ज करने का पूरा भरोसा जताया है.


'बिहारी बाबू' ने कहा, ‘‘मैंने पूर्व के दो चुनावों में इस सीट से बिहार में सबसे अधिक अंतर से जीत दर्ज की है. ऐसा लोगों का मेरे लिए प्यार के चलते हुआ. मैं आदतन पार्टी बदलने वाला नहीं हूं. जिन परिस्थितियों में मुझे भाजपा छोड़नी पड़ी वह सबको पता है.’’ शत्रुघ्न सिन्हा 1990 दशक के शुरुआती वर्षों से बीजेपी से जुड़े थे. बीजेपी नेतृत्व के साथ उनके मतभेद नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने और उनके करीबी अमित शाह के पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद शुरू हुए. उन्होंने बीजेपी में रहते हुए कई मौकों पर पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधा था.


उधर बीजेपी शत्रुघ्न सिन्हा की संभावनाओं को खारिज करती है. भाजपा का कहना है कि शत्रुघ्न सिन्हा का पूर्व के चुनावों में प्रदर्शन पार्टी से उनके जुड़ाव के चलते था. बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘‘पटना साहिब के तहत जो छह विधानसभा सीटें हैं, उनमें से पांच भाजपा के पास हैं. ऐसा इसके बावजूद हुआ था कि विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के हाथ मिला लेने के चलते हमारी पार्टी ने काफी कड़े मुकाबले का सामना किया था.’’


सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘‘नीतीश अब हमारे साथ वापस आ गए हैं और रामविलास पासवान भी, जो 2009 में हमारे साथ नहीं थे. इसलिए हमारी संभावनाएं पहले से अधिक मजबूत हैं. इसके अलावा हमारे साथ नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और यह तथ्य भी है कि कांग्रेस का अब बिहार में प्रभाव नहीं है. शत्रुघ्न सिन्हा को स्वयं को भाग्यशाली समझना चाहिए यदि एक पोलिंग एजेंट भी मिल जाए.’’


इस बीच कांग्रेस सिन्हा के लिए काफी जोश के साथ प्रचार कर रही है. इसमें उसकी सहयोगी आरजेडी भी सहयोग कर रही है. आप, सीपीआई और सीपीएम जैसी पार्टियों ने धर्मनिरपेक्षता के लिए और बीजेपी को हराने के वास्ते अपना समर्थन कांग्रेस को दे दिया है. हालांकि इसका कोई अधिक प्रभाव होने की उम्मीद नहीं है.


बीजेपी को जो एक बात चिंतित करती है वह है रविशंकर प्रसाद को पार्टी उम्मीदवार बनाये जाने से राज्यसभा सदस्य रवींद्र किशोर सिन्हा को हुआ असंतोष. रवींद्र किशोर सिन्हा यह सीट स्वयं या अपने बेटे रितुराज के लिए चाहते थे. रवींद्र किशोर सिन्हा के बारे में कहा जाता है कि वे कायस्थ जाति में काफी लोकप्रिय हैं. जब हाल में आरके सिन्हा से शत्रुघ्न सिन्हा के बारे में प्रतिक्रिया मांगी गई तब उन्होंने कहा था, ‘‘मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि मैं रविशंकर प्रसाद को वोट करने के लिए पटना आऊंगा.’’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा, ‘‘शत्रुघ्न सिन्हा एक वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं. यदि वह कहते हैं कि वे जीत सकते हैं तो इसके पीछे उनके कारण होंगे.’’