पटना: कल रात जब बिहार के नेता अपने-अपने घरों में सो रहे थे ठीक उसी वक्त स्कूल के कुछ बच्चों को आती-जाती तेज रफ्तार की गाड़ियों के खौफ के साये में सड़क पर खाने और सोने को मजबूर होना पड़ा. सुशासन और सरकारी दावों की पोल खोलने वाली ये खबर बिहार की राजधानी पटना से आई है. दरअसल 'मुख्यमंत्री शैक्षणिक परिभ्रमण' योजना के तहत पटना का चिड़ियाघर घूमने आए बच्चों को सड़क पर ही खाना खिलाया गया और रात को बच्चों को सड़क पर ही सोना पड़ा. चपांरण जिले के स्कूली बच्चे कल अपने शिक्षकों के साथ चिड़ियाघर की सैर करने आये थे. योजना के तहत राज्य सरकार ने स्कूल को इस टूर के लिए राशि उपलब्ध कराई थी.
इतना ही नहीं बच्चों के साथ उनकी देखरेख को जो शिक्षिकाएं आई थीं, उनकी भी रात ऐसे ही कटी. कभी मच्छर, कभी जीव-जंतु, कभी आवारा कुत्ते, तो कभी बारिश के खतरे के बीच इन्हें रात गुजारनी पड़ी. ये हाल तब हुआ जब पटना के पॉश इलाके में स्थित चिड़ियाघर के दूसरी तरफ बड़े अधिकारियों, नेताओं और अफसरों के बंगले हैं.
चिड़ियाघर, बिहार सरकार के पर्यावरण एवं वन विभाग के अंतर्गत आता है. यहां हर रोज दर्जनों स्कूली गाड़ियां आती हैं. 'मुख्यमंत्री शैक्षणिक परिभ्रमण' योजना के अंतर्गत हर रोज हजारों सरकारी स्कूल के बच्चे चिड़ियाघर का भ्रमण करने आते हैं. दरअसल बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'मुख्यमंत्री शैक्षणिक परिभ्रमण' के तहत हरेक सरकारी स्कूल को 20 हजार रुपये बच्चों को राजधानी पटना में घुमाने के लिए दिए जाते हैं. इसमें बच्चों के आने-जाने और यात्रा के दौरान खाने-पीने का खर्च भी शामिल है.
उधर सूबे के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने घटना पर नाराजगी जताई है. उन्होंने संबंधित जिले के डीईओ को पूरे मामले की जांच कर तत्काल रिपोर्ट भेजने को कहा है. मंत्री ने कहा कि ज्यादातर घूमने निकले बच्चे उसी दिन दिन वापस लौट जाते है. आखिर इस स्कूल के बच्चों को रातभर खुले आसमान के नीचे क्यों सुलाया गया इस मामले में जांच के बाद जो लोग भी दोषी पाए जाएंगे उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी.
सत्तारूढ़ जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने इस घटना को दुखद बताया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री परिभ्रमण योजना के तहत विद्यालय के प्रभारी और प्राचार्य की यह जिम्मेदारी रहती है. आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराये जाते हैं. उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी मोतीहारी जांच कर रहे हैं. जो दोषी होंगे वो दंडित होंगे.
वहीं आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि यह सरकार की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है. बिहार में हो क्या रहा है यह समझ नहीं आ रहा है. सरकार सत्ता के बारगेनिंग में इस तरह व्यस्त है कि नन्हे-मुन्ने स्कूली बच्चों को लाकर रोड पर छोड़ दिया. सरकार के लिए चुल्लु भर पानी में डूब मरने की स्थिति है. अगर बिहार संभल नहीं रहा है, सरकार चलाने में मन नहीं लग रहा है, या अगर बीजेपी के प्रेशर में हैं, तो मुख्यमंत्री जी को इस्तीफा दे देना चाहिए.