नोएडा: देशभर में कोरोना से संक्रमित मरीज़ों की संख्या बढ़ कर 2 लाख के पार पहुंच चुकी है. यह महामारी लगातार फैल रही है लेकिन राहत की बात ये है कि संक्रमण से ठीक होने वाले मरीज़ों की भी संख्या बढ़ रही है.


देश भर में इस बीमारी को लेकर डर का मौहल है जो इस बीमारी से लड़ रहें हैं उनके और उनके परिवार के लिए ये एक मुश्किल की घड़ी है. बात करें अगर इस बीमारी की रिकवरी रेट की तो बढ़ते हुए मामलों के साथ ही यह भी बढ़ कर 49.47 फीसदी हो गया है. इस बीमारी को हरा चुके लोगों से बातचीत में सामने आया कि इस बीमारी से डरने की नहीं बल्कि एकजुट हो कर लड़ने की ज़रूरत है.


सौरभ गुप्ता नोएडा के सेक्टर -74 के निवासी हैं. ये कोरोना के उन कुछ पहले मामलों में शामिल थे जब देश इस बीमारी को समझने की कोशिश ही कर रहा था. सौरभ अपनी पत्नी के साथ यूरोप के टूर पर गए थे लेकिन वहां जाने से पहले उन्हें ये नहीं पता था के वापस आने के बाद वह कोरोना के शिकार हो जाएंगे. वे नोएडा के ही एक सैलून के मालिक हैं. उनके दो छोटे बच्चे भी हैं. मार्च के दूसरे सप्ताह में उन्हें बुख़ार आया जिसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी के साथ कोरोना का टेस्ट करवाया.


इस टेस्ट में उनकी पत्नी की रिपोर्ट तो नेगेटिव आई लेकिन सौरभ की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई. परिवार के लिए यह एक बेहद कठिन दौर था. सौरभ कहते हैं कि इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और वह हमेशा सकारात्मक ही रहे. शुरुआत में वह थोड़ा बहुत वॉक कर लेते, रनिंग करते और स्टीम लेते. 20 मार्च को वह ग्रेटर नॉएडा स्थित जिम्स में एडमिट हो गए.


उनके परिवार में पत्नी को शुरुआत में चिंता ज़रूर हुई, कुछ रातों तक वह सो भी नहीं पाई लेकिन इस सबके बावजूद उन्होंने सौरभ को सपोर्ट किया.  सौरभ कहते हैं कि उनके परिवार के सदस्यों, दोस्तों और डॉक्टरों ने उन्हें काफी मोटिवेट किया जिसकी वजह से वह जल्द से जल्द ठीक हो सके.


सौरभ ने कहा जो भी इस समय करोना से संक्रमित है उसके लिए यह डरने की बात जरूर है और उसे डरना भी चाहिए ताकि वह अपने परिवार से और लोगों से सामाजिक दूरी बनाएं लेकिन इस बीमारी से ठीक हुआ जा सकता है. बस खुद पर थोड़ा ध्यान देना होता है. थोड़ी एक्सरसाइ-योगा करें, पौषक आहार लें तो इस बीमारी से लड़ने में मदद मिलेगी.


सौरभ ने बताया कि वह बच्चों और पत्नी से विडियो कॉल पर ही बात करते थे उनके लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय ज़रूर था लेकिन इन परिस्थितियों में भी उन्होंने हार नहीं मानी और इस बीच उनकी पत्नी ने भी उनका बखूबी साथ दिया.


वहीं नॉएडा के ही सेक्टर -41 में रहने वाले अनुग्रह एक निजी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. वह भी अपनी पत्नी के साथ घूमने के लिए इंडोनेशिया गए थे. जब वापस आए तो कोरोना से संक्रमित हो गए. हालांकि उन्हें कोई भी सिम्प्टम नहीं था. उनका कहना है कि उस समय पूरी तरह से डॉक्टर तैयार नहीं थे. उनके बस में जितना भी था उन्होंने काफी मेहनत की. उन्होंने बताया कि शुरू में डर लग रहा था. उनका परिवार जो कि राजस्थान में रहता है, जो काफी घबरा गया था. उन्होंने योगा किया जिससे भी उनको जल्दी ठीक होने में मदद हुई.


अनुग्रह काफी पहले कोरोना वायरस से संक्रमित  हुए थे और उस समय इस बीमारी के बारे में ज्यादा जानकारी ना होने की वजह से काफी  उन्हें ज्यादा डर था. अनुग्रह कहते हैं कि इस बीच उनके परिवार वालों ने उन्हें पूरा सपोर्ट किया, उनके दोस्तों ने सपोर्ट किया और इस वजह से उन्हें किसी तरह का मानसिक तनाव नहीं हुआ.


लेकिन एक बात जो कोरोना को मात देने वाले दोनों लोगों ने बताई वह यह थी कि जब वे कोरोना को मात दे करके वापस लौटे तो उनके साथ भेदभाव हुआ. लोगों में उनके लिए हिचकिचाहट रही. जहां सौरभ की सोसाइटी वालों ने सोसाइटी सील होने का जिम्मेदार उन्हें ठहरा दिया. वहीं अनुग्रह भी कहते हैं कि काफी लोगों के साथ भेदभाव जैसी समस्या आई है.


दोनों एक ही गुजारिश करते हैं कि यह किसी को भी नहीं पता कि कोरोना वायरस किसको हो जाए तो ऐसे में उस व्यक्ति को कोई मुजरिम की तरह ना देखें बल्कि एक बीमार इंसान की तरह देखें और उसका साथ दें और उसकी सपोर्ट करें. जिस तरह से प्रशासन अपील करता है कि बीमारी से लड़ें बीमार से नहीं, बस यही गुजारिश कोरोना वायरस को हारकर वापस लौटे इन दोनों शख्स ने की है.


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