भोपाल: भारत विविध संस्कृतियों और परंपराओं का देश है. यहां आपने लोगों को अनेक त्योहार मनाते हुए देखा होगा, लेकिन हम यहां आपको कुछ अलग बताने जा रहे हैं. मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में होलिका दहन के बाद लोग अंगारों पर नंगे चलते हैं. इस परंपरा को वहां 'चूल' कहा जाता है. यहां के जिन लोगों की कोई मन्नत पूरी होती है उन्हें आग की लपटों से होकर गुजरना होता है.
एमपी के झाबुआ जिले में माताजी के मंदिर के सामने 19 से फीट लंबी और लगभग 2-3 फीट गहरी चूल (नाली) खोदी जाती है. इसमें लकड़ियां और अन्य सामग्री डालकर आग लगाई जाती है. अंगारों में घी डाला जाता है. जो लोग अंगारों पर चलते हैं वह पहले नगर भ्रमण करते हैं और फिर 'चूल' के पास आते हैं. इस परंपरा को आदिवासी समाज के लोग मनाते हैं.
दावा किया जाता है कि अंगारों पर जो भी चलता है उसे देवी मां की कृपी से चोट नही आती है. इस पूरी प्रक्रिया पर गांव के बुजुर्ग लोगों का कहना है कि यहां के लोग इस परंपरा को श्रद्धा के साथ मनाते हैं. अंगारों पर चलने की एक और मान्यता ये है कि इससे बीमार होने या किसी तरह की परेशानी होने पर भी मुक्ति मिलती है.
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