लखनऊ: ABP न्यूज़ ने ‘ऑपरेशन सीएम की नाक के नीचे’ के तहत उत्तर प्रदेश विधानसभा की इमारत में स्टिंग ऑपरेशन करके रिश्वतखोरी का खुलासा किया है. स्टिंग ऑपरेशन में एबीपी न्यूज़ के अंडरकवर रिपोर्टर ने उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर के निजी सचिव ओम प्रकाश कश्यप को ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए रिश्वत मांगते हुए खुफिया कैमरे में कैद किया है.
ओम प्रकाश राजभर के निजी सचिव का स्टिंग
उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर के निजी सचिव का नाम ओम प्रकाश कश्यप है. ओम प्रकाश कश्यप मंत्री राजभर के सबसे पसंदीदा अफसर हैं, क्योंकि आमतौर पर मंत्री अपने निजी सचिव का चुनाव खुद करते हैं. एबीपी न्यूज के अंडरकवर रिपोर्टर राजभर के निजी सचिव ओम प्रकाश कश्यप के पास एक सूत्र के साथ पहुंचे थे.
पहला खुलासा
29 अक्टूबर को विधानसभा की इमारत के भीतर कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर के कमरे में मंत्री का निजी सचिव ओम प्रकाश कश्यप एक बेसिक शिक्षा अधिकारी को हटाने की डील पर बात कर रहा था. ओम प्रकाश कश्यप ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को हटाने का रेट 40 लाख रुपए बताया. साथ ही उसने बताया कि बीएसए और आरटीओ को को हटाने-पोस्ट करने का रेट एक ही है. स्टिंग में बेसिक शिक्षा अधिकारी को हटवाने के बदले कैबिनेट मंत्री का निजी सचिव 50 लाख रुपए इकट्ठा करने पर हामी भरता है.
दूसरा खुलासा
एक नवंबर 2018 को राजभर के निजी सचिव ओम प्रकाश कश्यप के सामने दूसरी मुलाकात में अंडरकवर रिपोर्टर ने प्रस्ताव रखा कि क्या बीएसए यानी बेसिक शिक्षा अधिकारी का ट्रांसफर कराने और शिक्षा विभाग में स्कूल बैग का ठेका पाने के लिए बेसिक शिक्षा मंत्री या मंत्री के किसी भरोसेमंद से मिलवा सकता है?
इसके जवाब में यूपी के मंत्री राजभर का निजी सचिव स्कूल बैग सप्लाई के लिए बेसिक शिक्षा मंत्री के पति से मिलाने का दावा करता है. बेसिक शिक्षा मंत्री या मंत्री के करीबी को पहली मुलाकात में ठेके के बदले दीवाली गिफ्ट देने की बात करता है. निजी सचिव कहता है कि बेसिक शिक्षा मंत्री से ठेके-ट्रांसफर का काम बिना मिले नहीं होने वाला.
तीसरा खुलासा
तीसरी मुलाकात में मंत्री के कमरे के भीतर ही ओम प्रकाश राजभर का निजी सचिव ओम प्रकाश कश्यप अब इस बात की गारंटी लेने लगा कि वो दूसरे मंत्रालयों और विभागों के काम की सेटिंग कराने में माहिर है. ऑपरेशन सीएम की नाक के नीचे में तीसरा खुलासा सामने आया कि मंत्री का ही निजी सचिव वन-पर्यावरण मंत्रालय के काम भी कराने का भरोसा दलाल के सामने देता है. आबकारी विभाग में काम कराने के लिए मंत्री से मिलाने के बदले एक रकम खुद के लिए मांगता है. आबकारी विभाग के काम को कराने के बदले निजी सचिव पैसे के लेन-देन की जिम्मेदारी पर हामी भरता है.
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