नई दिल्ली: बिहार के राज भवन और यूपी का क्या कोई कनेक्शन है ? फागू चौहान को राज्यपाल बनाए जाने से ये सवाल उठने लगे हैं. इससे पहले बिहार के गवर्नर रहे लालजी टंडन भी यूपी के ही हैं. उन्हें पिछले ही साल अगस्त के महीने में गवर्नर बनाया गया था. वे पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के क़रीबी नेता माने जाते हैं.


लखनऊ के सांसद रहे टंडन अब एमपी के राज्यपाल बना दिए गए हैं. टंडन से पहले यूपी के ही सत्यपाल मलिक बिहार के गवर्नर थे. उन्हें ये ज़िम्मेदार 30 सितंबर 2017 को मिली थी. बागपत के रहने वाले मलिक इन दिनों जम्मू कश्मीर के राज्यपाल हैं.


रामनाथ कोविंद अब भारत के राष्ट्रपति हैं. लेकिन उससे पहले वे भी बिहार के गवर्नर रहे. साल 2015 से लेकर 2017 तक वे दो सालों तक राज्यपाल रहे. कोविंद भी यूपी के ही रहने वाले हैं. कानपुर में उन्होंने घर बना रखा है. वे बीजेपी के सांसद भी रहे. बंगाल के गवर्नर केसरी नाथ त्रिपाठी को भी दो बार बिहार के राज्यपाल की अतिरिक्त ज़िम्मेदारी दी गई. वे प्रयागराज के रहने वाले हैं. केसरी नाथ यूपी विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं.


राज्यपालों की लिस्ट देखने से पता चलता है कि केन्द्र में मोदी सरकार बनने के बाद से ही बिहार के राज भवन पर उत्तर प्रदेश का ही क़ब्ज़ा रहा है. अब फागू चौहान को राज्यपाल बनाया गया है. बिहार के नये राज्यपाल फागू चौहान की छवि एक बेदाग़ और मिलनसार नेता की रही है.


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यूपी के पूर्वांचल में वे पिछड़ों के बड़े नेता माने जाते रहे हैं. पिछले कुछ महीनों से वे यूपी पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष भी थे. आज़मगढ़ के रहने वाले चौहान राज्य के राजस्व मंत्री भी रह चुके हैं. वे मऊ जिले के घोषी से विधायक भी हैं. फागू चौहान कुछ सालों तक बहुजन समाज पार्टी में भी रहे.