इलाहाबाद: यूपी की योगी सरकार द्वारा संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किये जाने का मामला अब अदालत की दहलीज तक पहुंच गया है. जिले का नाम बदले जाने के फैसले के विरोध में इलाहाबाद हाईकोर्ट में कई अर्जियां दाखिल की गई हैं.


इन अर्जियों पर मंगलवार को डिवीजन बेंच में सुनवाई होगी. हाईकोर्ट की ही महिला वकील सुनीता शर्मा द्वारा दाखिल की गई पीआईएल में तो सीधे तौर पर सीएम योगी आदित्यनाथ को भी पक्षकार बनाया गया है. सुनवाई दोपहर को एक्टिंग चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस चंद्रधारी सिंह की डिवीजन बेंच में होगी.


अर्जियों में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किये जाने के फैसले को चुनौती दी गई है. अर्जियों में कहा गया है कि योगी सरकार ने मनमाने तरीके से सिर्फ सियासी फायदे के लिए इलाहाबाद का नाम बदला है. रेवेन्यू एक्ट के तहत उसे ऐसा करने का अधिकार भी नहीं है.



अर्जियों में यह दलील भी दी गई है कि सरकार ने नाम बदलने के लिए ज़रूरी नियमों का पालन भी नहीं किया है. जनभावनाओं के आधार पर नाम बदलने का दावा किया गया है, लेकिन न तो आम जनमानस से इस पर कोई राय मांगी गई और न ही किसी की आपत्ति.


वैसे क़ानून के जानकार हर्ष नारायण शर्मा भी यही कह रहे हैं कि सरकार को किसी शहर या तहसील का नाम बदलने का तो अधिकार है, लेकिन पूरे जिले का नाम बदलने का नहीं. यह रेवेन्यू एक्ट 2006 की धारा 6 के खिलाफ है. नाम बदलने के खिलाफ कई जनप्रतिनिधियों और रिटायर्ड अफसरों ने सोमवार को भी एक अर्जी दाखिल की है.


हालांकि इस अर्जी पर बाद में अलग से सुनवाई होगी. गौरतलब है कि यूपी की योगी सरकार ने कैबिनेट से प्रस्ताव पारित कराने के बाद इसी अठारह अक्टूबर को नोटिफिकेशन जारी कर इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया था.