नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के पीलीभीत प्रशासन ने एक ऐसे इनीशिएटिव पर काम किया है जिसको अब पूरे प्रदेश में दोहराया जाएगा. यहां पर फसलों के अवशेष (पराली) को जलाने की बजाए इनसे बायो-कंपोस्ट बनाने का काम चल रहा है जिसको काफी सफलता मिली है. इसके बाद अब उत्तर प्रदेश के मुख्य गृह सचिव अवनीश अवस्थी ने सभी जिलों के जिलाधिकारयों को एक पत्र लिखकर इस इनीशिएटिव को अपने यहां भी लागू करने का आदेश दिया है.


इसके साथ ही पीलीभीत ऐसा पहला जिला बन गया है जिसने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया और उसके मुताबिक किसानों को पराली के प्रबंधन के लिए किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान कर रहा है ताकि वो फसल के अवशेष की डीकंपोस्टिंग में लगने वाली लागत को वहन कर सकें.


सुप्रीम कोर्ट ने 6 नवंबर को दिए अपने आदेश में कहा था कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब को चार हफ्तों के भीतर उसके आदेश का पालन करना होगा. पीलीभीत ने इस दिशा में काम को अंजाम दिया है. एक एकड़ जमीन के फसल अवशेष के प्रबंधन के किसानों को 3500 रुपये दिए जाएंगे और ये पीलीभीत मॉडल के तहत होगा.


पीलीभीत के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जिले के लगभग 80 फीसदी किसानों के परिवार इस पराली मैनेजमेंट स्कीम का लाभ लेने के लिए लिंक करा चुके हैं. इसके अलावा पीलीभीत जिले के 2.72 लाख परिवार मनरेगा जॉब कार्ड्स से लिंक्ड हैं और ये सभी बायो-कंपोस्ट मैन्युफैक्चर्रड स्कीम से जुड़े हुए हैं.


आपको बता दें कि पराली जलाने के कारण प्रदूषण बेहद तेजी से फैलता है और इसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों को आदेश दिया था कि इसके मैनेजमेंट के लिए वो जल्द उपाय करें.