DETAIL: समाजवाद के गढ़ को ध्वस्त करने के लिए पीएम मोदी ने चुना आजमगढ़
बीजेपी ने यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 71 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी यूपी में एक बार फिर अपना परचम लहराना चाहती है लेकिन क्या उसे इसमें सफलता मिल पाएगी?
नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव के सियासी संग्राम का पारा चढ़ता जा रहा है. यूपी इस महाभारत का कुरूक्षेत्र है. 2014 में बीजेपी को सत्ता के शीर्ष पर यूपी ने पहुंचाया. बीजेपी ने यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 71 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी यूपी में एक बार फिर अपना परचम लहराना चाहती है लेकिन क्या उसे इसमें सफलता मिल पाएगी?
शायद इसी सवाल का जवाब तलाशने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने आजमगढ़ में जनसभा की. इस सभा में पीएम मोदी ने हिन्दू मुस्लिम तड़का लगाया. मुस्लिम महिलाओं के सहारे कांग्रेस पर मुस्लिम पार्टी होने का अप्रत्यक्ष तंज कसा. तीन तलाक के मुद्दे के सहारे पीएम ने कहा कि कांग्रेस बताए कि वह सिर्फ मुस्लिम पुरूषों की पार्टी है या मुस्लिम महिलाओं के हित का भी ख्याल है?
बता दें कि आजमगढ़ को यूं ही नहीं चुना, इसके पीछे एक खास वजह है. वर्तमान में मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ से सांसद हैं. 2014 में जब बीजेपी की प्रचंड आंधी थी और 71 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी, ऐसे वक्त में भी बीजेपी आजमगढ़ सीट नहीं जीत पाई थी. 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 403 में से 312 सीटों पर जीती थीं लेकिन आजमगढ़ की 10 विधानसभा सीटों में से उसे केवल एक सीट पर ही जीत मिल पाई थी.
आजमगढ़ से जीत हासिल करने वाले मुलायम इस बार मैनपुरी से चुनाव लड़ेंगे. वे खुद इसका एलान कर चुके हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी की ओर से आजमगढ़ सीट से कौन चुनाव लड़ेगा? चर्चाएं है कि बीजेपी नेता और पूर्व सांसद रमाकांत यादव सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. उन्हें पिछले दिनों अखिलेश के साथ भी देखा गया था.
आजमगढ़ सीट पर बीजेपी का जादू कभी नहीं चला जबकि एसपी और बीजेपी यहां अपना जलवा दिखाती रही हैं. 2009 में रमाकांत यादव ने यहां बीजेपी को जीत दिलाई थी लेकिन 2014 में उन्हें नाकामयाबी का सामना करना पड़ा. दरअसल आजमगढ़ सीट मुस्लिम, यादव और दलित बहुल सीट है.
यहां करीब 40 फीसदी आबादी यादव और मुस्लिम है जबकि 22 फीसदी दलित, 21 फीसदी ओबीसी (गैर यादव) और सवर्ण 17 फीसदी हैं. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के शिलान्यास के बाद पीएम मोदी ने एक जनसभा को भी संबोधित किया जिसमें उन्होंने एसपी और बीएसपी का नाम लिए बगैर उन पर हमला बोला.
बीजेपी 2019 में एसपी की इस परंपरागत सीट को जीतना चाहेगी और एसपी भी अपनी इस सीट बचाने के लिए जी-जान लगाएगी. देखना ये होगा कि इस रस्साकशी में किसकी जीत होती है. हां अगर एसपी और बीएसपी का गठबंधन होता है तो बीजेपी के लिए बड़ी कठिनाई जरूर पैदा हो जाएगी.
बीजेपी इस बात को समझती है और शायद यही कारण है कि अभी से वो चुनाव प्रचार जैसी तैयारियों में जुट गई है. हालांकि पीएम मोदी का आजमगढ़ दौरा कोई चुनावी दौरा नहीं है लेकिन फिर भी जिस तरह से पीएम ने एसपी, बीजेपी और कांग्रेस पर निशाना साधा उससे साफ है कि वे जो संदेश जनता को देना चाहते थे उसे दे दिया.
आजमगढ़ में एक जनसभा को संबोधित कर, तीन तलाक के सहारे कांग्रेस समेत सपा -बसपा पर तंज कसते हुए पीएम ने पूरे पूर्वांचल को नया सियासी संदेश दिया. आजमगढ़ पूरे पूर्वांचल को साधने की धुरी है.