इलाहाबाद: इलाहाबाद पुलिस ने आठ मई को फ़िल्मी अंदाज में मौत के घाट उतारे गए बीजेपी नेता व नगर पंचायत के सभासद पवन केसरी मर्डर केस का खुलासा करने का दावा करते हुए छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि बीजेपी नेता को गोली मारने वाले दोनों शूटर समेत तीन लोग अब भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं.
पुलिस के मुताबिक़ सभासद पवन केसरी का क़त्ल हत्या के एक मामले में आरोपियों की पैरवी किये जाने का बदला लेने के लिए की गई थी. पवन केसरी यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी का बेहद करीबी था. हालांकि पुलिस के इस खुलासे को लेकर तमाम सवाल भी उठ रहे हैं.
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गौरतलब है कि इलाहाबाद के फूलपुर इलाके में आठ मई की रात को बीजेपी के स्थानीय नेता और नगर पंचायत के सभासद पवन केसरी की बाइक सवार दो अज्ञात बदमाशों ने गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था. पवन केसरी को उस वक्त गोली मारी गई थी, जब वह पार्टी के एक नेता के साथ ढाबे पर खाना खाने के बाद स्कूटी से वापस अपने घर लौट रहे थे.
उनकी हत्या के बाद इलाहाबाद में जमकर कोहराम मचा था. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने तीन दिन बाद पवन के घर जाकर उनके परिवार वालों को बीस लाख रूपये की सरकारी मदद भी दी थी. इस मामले में इलाहाबाद के तत्कालीन एसएसपी आकाश कुलहरि का तबादला भी कर दिया गया था.
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इलाहाबाद पुलिस के अफसरों के मुताबिक़ फूलपुर इलाके में इसी साल सत्रह जनवरी को शहजादे नाम के युवक की हत्या हुई थी. हत्या का आरोप मनोज तिवारी पर लगा था. पवन केसरी, मनोज की पैरवी कर रहे थे.
पवन इस मर्डर केस की जांच सीबीसीआडी में ट्रांसफर करा रहे थे. शासन से उसकी फ़ाइल इलाहाबाद तक आ भी गई थी. इलाहाबाद के एसएसपी नितिन तिवारी के मुताबिक़ मृतक शहजादे के परिवार वाले इससे पवन केसरी से काफी नाराज़ थे.
पवन द्वारा पैरवी किये जाने से नाराज़ होकर ही शहजादे के भाई सोनू उर्फ़ सिराज व परिवार के दूसरे लोगों ने उसकी हत्या की साजिश रची और बीजेपी नेता की हत्या की सुपारी दे दी. एसएसपी के मुताबिक़ फरार शूटर्स व बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई टीमें अलग अलग जगहों पर छापेमारी कर रही हैं.