देहरादून: जसपुर के 19 गांवों को जसपुर तहसील से हटाकर काशीपुर तहसील में मिला देने पर राजनीती शुरू हो गई है. जसपुर से कांग्रेसी विधायक आदेश चौहान इस निर्णय के खुलकर विरोध में आ गए हैं, तो वहीं काशीपुर के बीजेपी विधायक हरभजन सिंह चीमा इसका श्रेय लेने में जुट गए हैं. चीमा इस निर्णय का श्रेय लेने के लिए सोमवार को जसपुर विधानसभा के गणीनेगी गांव में जा पहुंचे. उन्होंने विधायक आदेश चौहान पर तंज कसते हुए कहा कि वह इसलिए विरोध कर रहे है क्योंकि वह कांग्रेस में हैं. अगर वे बीजेपी में होते तो विरोध नहीं करते. कांग्रेस ने तो हमेशा से ही विरोध किया है. आज इन ग्रामीणों के साथ खुशी मनाने के लिए मैं जसपुर विधानसभा क्षेत्र में हूं.


क्या है मामला?
दरअसल, 2003 में जसपुर तहसील के गठन के बाद काशीपुर तहसील के 19 गांवों को यहां से हटाकर जसपुर से जोड़ दिया गया था, जिसके बाद न्याय पंचायत भरतपुर के अधीन आने वाले लालपुर, बाबरखेड़ा, हरियावाला, शाहगंज, कुंडा, बक्सौरा, टीला, गनेशपुर, केसरीपुर, गिरधई मुंशी, बैंतवाला, कनकपुर, भरतपुर, बगवाड़ा, पस्तौरा, गढीनेगी, किलावली, दुर्गापुर, नवलपुर के लोग इन गांवों को काशीपुर तहसील से जोड़ने की मांग करने लगे. साल 2008 में डीएम ऊधमसिंह नगर ने अपनी जांच रिपोर्ट में भी इन गांवों को काशीपुर तहसील में शामिल होने की मांग को तर्कसंगत पाया था.


ग्रामीणों का तर्क
ग्रामीणों का कहना था कि जसपुर पहुंचने के लिए 20 किमी और काशीपुर पहुंचने के लिए दो से पांच किमी का सफर करना पड़ता है. इससे उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. हाल ही में विधायक हरभजन सिंह चीमा के प्रयासों के बाद इन सभी 19 गावों को काशीपुर तहसील में जोड़ दिया गया.


इस निर्णय के बाद जसपुर से कांग्रेस विधायक आदेश सिंह चौहान विरोध में आ गए हैं. उन्होंने इन गावों को दोबारा जसपुर तहसील में जोड़े जाने को कहा है. दरअसल, इस निर्णय के बाद कांग्रेस को जसपुर व काशीपुर विधानसभा में अपने वोटों के नुकसान की चिंता है. यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच राजनीतिक जंग तेज हो गई है.



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