नई दिल्ली: यूपी के सियासी रण में अमेठी की लड़ाई सबसे दिलचस्प हो चली है. यहां एक राजा की दो रानियां आमने-सामने हैं. कांग्रेस सांसद और राजघराने के महाराज संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह और दूसरी पत्नी अमिता सिंह आमने-सामने हैं.


रानियों की जंग गठबंधन को ठेंगा
रानियों की इस जंग ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन को भी ठेंगा दिखा दिया है. समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी गायत्री प्रजापति पहले से ही अमेठी से चुनाव मैदान में उतरे हुए थे. बावजूद इसके आज अमिता सिंह ने कांग्रेस के टिकट से नामांकन भर दिया. अमिता चुनाव के मैदान में ना किसी को दोस्त मानती हैं ना दुश्मन. अमिता जीत का दावा कर रही हैं और एसपी से फ्रेंडली फाइट के लिए बिलकुल तैयार नहीं हैं


अमिता क्यों उतरीं मैदान में?
आपको बता दें पिछली बार अमेठी सीट पर एसपी के गायत्री प्रजापति जीते थे. अमिता सिंह 6 हजार वोटों से गायत्री से हार गई थीं. अमिता सिंह दो बार अमेठी से विधायक रह चुकी हैं. यही वजह है कि अमिता ने मैदान नहीं छोड़ा और गठबंधन के बाद भी मैदान में हैं, पति संजय और बेटी के साथ नामांकन करने पहुंची अमिता को जीत का पूरी भरोसा है.


महाराज का साथ किसके साथ?
महाराजा संजय सिंह खुद कार चलाकर अमिता का नामांकन कराने आए. संजय सिंह कहते हैं उनकी सिर्फ एक रानी है और उसके वो मजबूती से खड़े हैं. वहीं संजय सिंह की पहली पत्नी और बीजेपी उम्मदवार गरिमा, महाराज संयज पर कोई भी टिप्पणी करने से बचती रहीं हैं.


सियासत नहीं ये विरासत की जंग है!
गरिमा सिंह, संजय सिंह की पहली पत्नी हैं. साल 1995 में संजय सिंह ने अमिता से दूसरी शादी कर ली. गरिमा और संजय के तलाक मामला हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा. संजय सिंह का दावा है कि गरिमा से उनका तलाक हो गया है, जबकि गरिमा अब भी अपने आप को तलाकशुदा नहीं मानती. अब दोनों पत्नियों में विरासत की जंग चल रही है.


किस करवट बैठेगा ऊंट?
दोनों रानियों का पारिवारिक युद्ध अब सियासी जंग में भी तब्दील हो चुका है. सहानुभूति के दम पहली रानी की जीत का दावा किया जा रहा है जबकि दूसरी रानी अमिता को पति के साथ का भरोसा. वहीं दोनों को सपा प्रत्याशी गायत्री प्रजापति अकेले ही मात देने का दंभ भर रहे है.