MP के सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह बोले- मोदी सरकार ने राम मंदिर का निर्माण RSS के सुपुर्द किया
राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी को पत्र लिखा था. जिसपर अब सियासत शुरू हो गई है. प्रदेश के सहकारिता मंत्री डॉ गोविंद सिंह ने विश्व हिंदू परिषद को आरएसएस की औलाद बताया है.
भोपालः मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर पीएम मोदी को लिखे पत्र पर सियासत शुरू हो गयी है. प्रदेश के सहकारिता मंत्री डॉ गोविंद सिंह ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण मोदी सरकार ने आरएसएस के सुपुर्द कर दिया है. आरएसएस के लोग अयोध्या में राम मंदिर पर कब्जा कर रहे हैं. इसके साथ ही डॉ गोविंद सिंह ने विश्व हिंदू परिषद को आरएसएस की औलाद बताया है. उन्होंने कहा कि 'राम और अल्लाह को पूरे विश्व में मानने वाले लोग हैं. इंसानियत के नाते सभी को सब के धर्मों का ध्यान रखना चाहिए. कांग्रेस पार्टी का लक्ष्य सभी धर्मों को साथ लेकर चलने का है.'
दिग्विजय के पत्र पर बीजेपी भी विरोध में उतरी
राम मंदिर ट्रस्ट पर सवाल उठाते हुए दिग्गी के पीएम को पत्र लिखने के बाद भाजपा भी विरोध में उतर आई है. भोपाल हुज़ूर से भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि दिग्विजय सिंह ने श्रीराम मंदिर के लिए, कार सेवकों के लिए अपनी संवेदनाएं व्यक्त नहीं की वह जब भी बोले बाबरी मस्जिद और मुसलमानों के पक्ष में विधवा विलाप करते नज़र आए हैं. उन्होंने आज भी जो पत्र लिखा है उसमें श्रीराम मंदिर की चिंता नहीं बल्कि बाबरी मस्जिद टूटने का दर्द छलक रहा है. वह दर्द वैसा ही है जैसा दर्द पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को होता है. दिग्विजय सिंह और पूरी कांग्रेस वर्षों तक श्रीराम मंदिर में रोड़ा बनी रही. यह वही दिग्विजय सिंह हैं जिन्होंने कार सेवकों की मौत पर मुलायम सिंह का धन्यवाद दिया था. राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्देश दिए हैं मोदी सरकार उसका अक्षरशः पालन कर रही है. दिग्विजय सिंह को कम-से-कम श्रीराम मंदिर निर्माण पर चिट्ठी पत्री लिखने का कोई अधिकार नही है.
दिग्विजय ने पीएम मोदी से कहा था नए ट्रस्ट की ज़रूरत नहीं
बता दें कि दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र के माध्यम से कहा था की जब पहले ही राम मंदिर निर्माण के लिए रामालय ट्रस्ट मौजूद है तो अलग से ट्रस्ट बनाने का कोई औचित्य नहीं है. वहीं उन्होंने नए ट्रस्ट में किसी भी जगतगुरु शंकराचार्य को स्थान नहीं दिए जाने का भी विरोध किया है. उन्होंने कहा कि देश में सनातन धर्म के पांच शंकराचार्य के पीठ हैं. उनमें से ही ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाना उपयुक्त होता जो इस ट्रस्ट में नहीं किया गया है.
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