नोएडा: केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा भले ही संसद में उनके इलाके के प्रतिनिधि हों और भले ही उनके गांव को उन्होंने गोद लिया हो फिर भी कचहैड़ा गांव के लोग उनसे खासे नाराज हैं और उनके खिलाफ पोस्टर लगाकर साफ कर दिया है कि अब यहां उनका स्वागत नहीं होगा.


दरअसल इस विरोध की कहानी तब शुरू हुई जब एक रीयल्टी कंपनी और ग्रामीणों के बीच लड़ाई हो गई. उत्तरप्रदेश के गौतमबुद्ध नगर के कचहैड़ा में अक्टूबर 2018 में हुई हिंसा के मामले में 86 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इसे लेकर ग्रामीणों में आज भी आक्रोश है.


प्रदर्शन अब भी जारी है और करीब दो दर्जन पुरुष एवं महिलाएं, युवा एवं बुजुर्ग अपने लोकसभा सांसद के खिलाफ रूक-रूक कर नारेबाजी कर रहे हैं. एक पोस्टर में लिखा है, ‘‘महेश शर्मा के गोद लिए गांव कचहैड़ा में बीजेपी वालों का आना सख्त मना है.’’ इस तरह के पोस्टर गांव के कई स्थानों पर लगे दिख रहे हैं.


ग्रामीणों का गुस्सा मुख्यत: शर्मा के खिलाफ है जो विकास नहीं होने के लिए उन्हें जिम्मेदार मानते हैं. यहां यदा-कदा ‘‘मोदी तुझसे बैर नहीं, महेश शर्मा की खैर नहीं’’ के नारे भी सुनने को मिलते हैं.


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कचहैड़ा में करीब 4500 मतदाता हैं जिन्होंने 2014 में शर्मा के पक्ष में मतदान किया था. गौतमबुद्ध नगर क्षेत्र से 2009 में बसपा के सुरेंद्र नागर लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. वहीं महेश शर्मा ने बताया कि गांव में आंदोलन राजनीतिक कारणों से हो रहा है. शर्मा ने कहा, ‘‘वहां विकास धीमा है, फिर भी काफी काम किया गया है.’’


स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्होंने 2010 में अपनी जमीन एक निजी बिल्डर को बेच दी थी और उन्हें मुआवजा मिला था. उनसे वादा किया गया था कि सड़क, पेयजल, स्वास्थ्य सुविधाएं, सामुदायिक केंद्र, एक डिग्री कॉलेज, खेल का मैदान और सुविधाओं से युक्त श्मशान घाट का निर्माण किया जाएगा. सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षक धर्मपाल सिंह ने कहा कि बिल्डर ने केवल सड़क बनवाई और वह भी घटिया किस्म की जिस पर बारिश के समय पानी भर जाता है.