प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना गरीबों का दुख-दर्द दूर करने में हो रहा है विफल!
आयुष्मान भारत योजना बड़ा स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम है. यह योजना पिछले साल 23 सितंबर को पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर पूरे देश में लागू की गई थी.
मध्य प्रदेश: सीहोर जिला के जितेंद्र अहिरवार इलाज की आस में 2 साल से पलंग पर पड़े-पड़े कराह रहे हैं. उनकी टूटी रीढ़ की हड्डी का इलाज भगवान भरोसे है. उन्हें आयुष्मान कार्ड से इलाज का इंतजार कम होता नहीं दिख नहीं रहा है. प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने पिछले वर्ष गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना को शुरू किया था. इस योजना के द्वारा करीब 10 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों को नि:शुल्क इलाज की सुविधा मिलेगी. आयुष्मान भारत योजना वास्तव में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम है. जिसके तहत गरीब लोगों को प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये तक के इलाज के लिए कैशलेश कवरेज प्रदान किया जाता है.
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम है. यह योजना पिछले साल 23 सितंबर को पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर पूरे देश में लागू की गई थी. लेकिन जब मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में आयुष्मान कार्ड की हकीकत जानने के लिए एबीपी न्यूज़ ने पड़ताल की तो एक अलग ही हकीकत सामने आई. सीहोर, मध्य प्रदेश का पहला जिला हैं जहां पर 29 सितंबर 2018 को प्रदेश में आयुष्मान कार्ड योजना का शुभारंभ किया गया था. जिसमें तीन लाख कार्ड बनाए गए थे. तथ्यों के अनुसार महज नौ हजार कार्ड के माध्यम से मरीजों को इस योजना का लाभ मिला.
सीहोर जिले के लसूडिया परिहार गांव में जितेंद्र अहिरवार 2 साल से लगातार आयुष्मान कार्ड को लेकर घूम रहे हैं. मजदूरी के दौरान कुएं में गिरने से उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी. तबसे पूरा परिवार हताश व निराश हैं क्योंकि उस कार्ड से अभी तक परिवार को सहायता नहीं मिल पा रही है.
जितेंद्र परिहार के पिता श्रीकिशन ने बताया, ''जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधि के चक्कर लगा लगा कर थक गया हूं लेकिन अभी तक इस कार्ड के माध्यम से मेरे बेटे को इलाज नहीं मिल पा रहा है. मेरा बेटा 2 साल से लेटा हुआ है.'' श्रीकिशन का कहना है कि कोई मदद नहीं मिल पा रही है और यह कार्ड सिर्फ एक दिखावा है.