बिहारः युवाओं को JDU से इस तरह जोड़ रहे हैं प्रशांत किशोरः सौ नीतीश कुमार बनाने की तैयारी शुरू
प्रशान्त बताते हैं कि अगला पंचायत चुनाव दलीय आधार पर लड़ा जाएगा. कोई और दल तैयार हो या न हो जेडीयू अपनी तरफ से मुखिया समेत अन्य पद के लिए पार्टी सिंबल देगी.
नई दिल्लीः बिहार की राजधानी पटना के वीवीआइपी इलाके में सात सर्कुलर रोड के सामने हर रोज़ सुबह से युवकों की भीड़ लग जाती है. सात नंबर का ये सरकारी बंगला बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का है. ये भीड़ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने के लिए नहीं बल्कि जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशान्त किशोर से मुलाकात करने आई है. ये सभी प्रशान्त किशोर से मिलने आए हैं. एक नौजवान अपने साथ पच्चीस युवा लेकर आता है तब प्रशान्त किशोर सबके साथ मिलते हैं. एक साथ करीब सौ युवाओं के साथ हॉल में मुलाकात करते हैं. पहले प्रशान्त किशोर अपनी बात रखते हैं फिर एक एक कर सवाल पूछे जाते हैं.
प्रशान्त सबको बताते हैं कि वो कैसे उन युवाओं की तलाश कर रहे हैं जिनमें राजनीति में आने की इच्छा तो है पर कोई रास्ता दिखाने वाला नहीं है. सभी को अगले दस साल की तैयारी करने की योजना पर काम करने का सूत्र देते हैं. प्रशान्त बताते हैं कि अगला पंचायत चुनाव दलीय आधार पर लड़ा जाएगा. कोई और दल तैयार हो या न हो जेडीयू अपनी तरफ से मुखिया समेत अन्य पद के लिए पार्टी सिंबल देगी. प्रशांत कहते हैं कि वो इस महीने के अंत तक एक लाख युवाओं से मिलेंगे और जेडीयू के साथ जोड़ेंगे. अभी तक चालीस हजार युवाओं से मुलाकात कर चुके हैं. रोज़ सुबह 9 बजे से रात के नौ बजे तक करीब बारह सौ युवाओं से मुलाकात करते हैं. ये सभी वो युवा हैं जो किसी और राजनीतिक दल के सदस्य नहीं हैं. हर तबके और हर जिले से युवा आते हैं. नौकरी पेशा या फिर सामाजिक काम कर रहे सभी तरह के नौजवान हैं. जेडीयू ऐसे युवाओं को क्यों अवसर दे रही इसका भी खुलासा करते हैं.
प्रशान्त खुलकर बताते हैं कि जेडीयू के नेता नीतीश कुमार 15 साल से मुख्यमंत्री हैं. उनपर एक भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा और वो किसी भी जगह समझौता नहीं करते. यहां परिवार वाद नहीं है. वो चोर नहीं हैं. ऐसे कितने मुख्यमंत्री हैं जो पन्द्रह साल से मुख्यमंत्री हैं पर चोरी नहीं करते हों. ये हमारे लिए गर्व की बात है. प्रशांत कहते हैं कि मैं कह सकता हूं कि नीतीश सिर्फ जाति की राजनीति नहीं करते. जाति यथार्थ है पर उस आधार पर ही काम नहीं होता है. बिहार में काम करना है. प्रशान्त बताते हैं कि मेरा नीतीश जी से नए लोगों को लाने का कमिटमेंट है. अगले विधान सभा में विधायकों की औसत उम्र 45 वर्ष होनी चाहिए. हमारा लक्ष्य 50 नए ऐसा युवाओं को टिकट देना है जिनमें क्षमता और नई ऊर्जा हो. आज जेडीयू के पास 70 विधायक हैं. प्रशान्त से लोगों ने पूछा कि आज राजनीति में परिवारवाद कायम है. परिवार से बाहर टिकट पाना मुश्किल है तो प्रशान्त उन्हें आश्वस्त करते हुए कहते हैं कि अगर युवा में दम होगा तो परिवारवाद आड़े नहीं आएगा. आपमें क्षमता है तो आप लड़ेंगे.
इसके अलावा प्रशांत किशोर का कहना है कि हमारा मकसद विधायक या सांसद बनाना नहीं है बल्कि बिहार में सौ नीतीश बनाना है. इसके लिए तर्क देते हैं कि अगर एक नीतीश बिहार में आमूल चूल परिवर्तन ला सकते हैं तो उनकी तरह काम करने वाले सौ विधायक-सासंद बिहार को मिल जाएं तो बिहार कहां जाएगा इसका अंदाज़ा लगा लीजिए. कूछ लोगों ने पूछा कि आप बीच में छोड़कर चले जाएंगे तो क्या होगा ? इस पर प्रशान्त ने कहा कि मैं अगले दस साल तक कहीं नहीं जाने वाला. ना ही मैं सरकार में जाने वाला हूं और न ही लोक सभा या राज्य सभा. युवा इस पर जमकर तालियां बजाते हैं.
किशोर कहते हैं कि बिहार में आज 74 के आंदोलन से निकले नेता हैं या फिर राम जन्म भूमि आंदोलन से. बाद में मंडल की राजनीति के बाद कई लोग आए पर नए युवाओं को जोड़ने की कोशिश नहीं हुई. अब वो पटना विश्वविद्यालय में चुनाव लड़ाने के लिए पार्टी की छात्र इकाई को मजबूत करने की शुरुआत कर रहे हैं. पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष दिव्यांशु भारद्वाज जो पहले एबीवीपी में थे उसे अपनी पार्टी में जोड़ लिया. अगले महीने छात्रसंघ का चुनाव है. जेडीयू इसे हर कीमत पर जीतना चाहती है. यहां इनका मुकाबला एबीवीपी और एनएसयूआई, एसएफआई से होना है. इसकी तैयारी भी साथ साथ की जा रही है.
कई लोगों ने जब सवाल किया कि कुछ पुराने नेता आपकी पार्टी के नेता उनकी राह मुश्किल करेंगे तो प्रशान्त ने कहा कि इसका मुकाबला तो उन्हें ही करना होगा. कुछ ने पूछा कि उनकी क्षमता आप कैसे नापेंगे. प्रशान्त ने कहा कि मेरे पास जादू नहीं. आज़ादी के वक्त 18 फीसदी पढ़े लिखे लोग थे आज 75 फीसदी पढ़े लिखे लोग हैं. आप जानते हैं उस वक्त किसको नेता चुना गया. डिग्री कोई मापने का पैमाना नहीं.
इसके अलावा दिलचस्प बात ये रही है कि कुछ युवाओं ने कहा कि मैं प्रशान्त किशोर बनना चाहता हूं. इसपर किशोर ने कहा कि मुझसे मिलने के लिए पैरवी की ज़रूरत नहीं. वो ट्विटर पर सबका जवाब देते हैं. उनसे मिलना आसान है. प्रशान्त किशोर की ये बातें युवाओं को भा रही है. एक लाख सक्रिय युवाओं को जोड़ने में जुटे प्रशान्त अभी पटना में ही युवा शक्ति से मिल रहे हैं और बाद में वो अन्य ज़िलों में भी जाएंगे.