पटना: जेडीयू से निष्कासित पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (पीके) के करीबियों ने कहा कि प्रशांत किशोर की बात सही निकली. उन्होंने 18 फरवरी को ही अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कह दिया था कि बिहार में एनआरसी और एनपीआर (पुराने प्रावधानों के साथ) लागू नहीं होगा. इससे पहले भी पीके ने कई बार कहा था कि राज्य में एनआरसी लागू नहीं होगा. अब सवाल उठता है कि जब पीके पार्टी के स्टैंड के हिसाब से ही बोल रहे थे तो उन्हें क्यों निकाला गया?


आज बिहार विधानसभा में एनआसी लागू नहीं किए जाने को लेकर प्रस्ताव पास किया गया. इसके साथ ही एनपीआर में संशोधन को लेकर भी एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया. जाहिर है कि पार्टी से निष्कासित किए जाने से पहले पीके को कई बार एनआरसी के खिलाफ बोलते सुना गया था.


नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर के बारे में कहा था कि उन्हें जेडीयू में शामिल करने के लिए अमित शाह ने कहा था. दिल्ली चुनाव के वक्त प्रशांत किशोर ने अमित शाह के खिलाफ बयानबाजी की थी. इन बयानों के बाद नीतीश कुमार ने पार्टी के अनुशासन में रहने की नसीहत दी थी. बाद में अनुशासनहीनता को लेकर पीके को जेडीयू ने पार्टी से निष्कासित कर दिया.


विधानसभा में आज एनआरसी और एनपीआर दोनों को लेकर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया. फिलहाल जेडीयू, बीजेपी और एलजेपी मिलकर बिहार में शासन में है. आरजेडी, कांग्रेस और अन्य दल विपक्ष में हैं. बता दें कि इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. बीते सालों में बिहार के अल्पसंख्यक वोटरों का झुकाव नीतीश कुमार की तरफ हुआ है. विधानसभा से प्रस्ताव पारित किए जाने के फैसले को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. नीतीश अल्पसंख्यकों को नाराज नहीं करना चाहते हैं. वहीं दूसरी तरफ विपक्ष अपनी पीठ थपथपा रहा है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि उनके दबाव की वजह से सरकार को प्रस्ताव पास करना पड़ा है. हमने बीजेपी को हिला दिया है.