प्रयागराज: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के कर्मचारी और अधिकारी एलटी ग्रेड की परीक्षा में कथित गड़बड़ियों को लेकर एसटीएफ की कार्रवाई के खिलाफ धरने पर बैठ गए हैं और उनका आरोप है कि शिक्षा माफिया एसटीएफ के माध्यम से इस परीक्षा को निरस्त कराना चाहते हैं.


उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग कर्मचारी अधिकारी संघ के अध्यक्ष दिनेश कुमार पांडेय ने आयोग के परिसर में बताया कि माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद राज्य सरकार ने 10,668 पदों पर चयन का जिम्मा आयोग को दिया.


उन्होंने बताया कि आयोग ने 29 जुलाई, 2018 को 29 विषय के 10,668 पदों की परीक्षा संपन्न कराई. परीक्षा के दिन एसटीएफ ने आयोग के सचिव को पेपर आउट होने की सूचना दी और 144 तथाकथित प्रश्नों का एक प्रश्नपत्र उपलब्ध कराते हुए मूल प्रश्नपत्र से इसका मिलान करने को कहा जो मिलान करने पर पूरी तरह से भिन्न पाया गया.


पांडेय ने बताया कि आयोग ने 14 विषयों के परिणाम घोषित कर दिए जो शिक्षा माफियाओं और दलालों को रास नहीं आया क्योंकि आयोग ने इतनी सुचिता से परीक्षा कराई कि कई विषयों में न्यूनतम योग्यता के अभ्यर्थी नहीं मिले और पद खाली रह गए.


उन्होंने कहा कि इन 14 विषयों के परिणाम से यह साफ हो गया है कि जिन शिक्षा माफियाओं ने इस परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों से करोड़ों रुपये लिए थे, अब उनकी योजना सफल नहीं होने जा रही है, इसलिए वे परीक्षा निरस्त कराने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं.


पांडेय ने इस पूरे प्रकरण की इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में या सीबीआई से जांच कराने की मांग की है क्योंकि इस घटना से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लग गया है.


हाल ही में एसटीएफ द्वारा आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार को गिरफ्तार किए जाने पर उन्होंने कहा कि यह एसटीएफ की गुंडागर्दी है क्योंकि एसटीएफ जो 10 लाख रुपये बरामद करने आई थी, वह रुपये कटियार के घर से बरामद नहीं हुए और एसटीएफ अभी साक्ष्य जुटा रही है.


बता दें कि एसटीएफ ने एलटी ग्रेड परीक्षा का पेपर आउट कराने के आरोप में वाराणसी में एक प्रेस मालिक को गिरफ्तार किया और उसके कथित बयान के आधार पर परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार को गिरफ्तार किया. प्रेस मालिक ने कटियार को कथित तौर पर 10 लाख रुपये देने की बात कही थी.


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